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Showing posts from October 29, 2010

सुंदर लड़कियां ही क्यों होती हैं न्यूज एंकर

अपनी हमउम्र टेलीविजन एंकर दोस्तों से जब भी बात होती है तो खुद अपने ही बारे में कहा करती है- मुझे पता है कि पांच-छ साल बाद हमें कौन पूछेगा? इसलिए सोचती हूं कि अभी जितना बेहतर कर सकूं( इस बेहतर में काम,पैसा,नाम,स्टैब्लिश होना सब शामिल है) कर लेती हूं। फिर न तो ये चेहरा रहेगा और न ही हमारी अभी जैसी पूछ रहेगी। सुनने में तो ये बात बहुत ही सहज लगती है और एक घड़ी को हम मान भी लेते हैं कि सही बात है कि जब उनके चेहरे पर वो चमक,वो फ्रेशनेस और वो चुस्ती झलकेगी ही नहीं तो कोई चैनल क्यों उन्हें भाव देगा? लेकिन इस सहजता से मान लेनेवाली बात को थोड़ा पलटकर एक सवाल की शक्ल में सामने रखें तो- क्या न्यूज चैनलों में फीमेल एंकर को सिर्फ और सिर्फ शक्ल के आधार पर रखा जाता है? यानी एंकरिंग के लिए सिर्फ अच्छी शक्ल का ही होना काफी है,इसके अलावे किसी तरह की काबिलियत की जरुरत नहीं होती? अगर इसका जबाब हां है तो फिर बेहतर है कि इस पेशे में आने के लिए मॉडलिंग के कोर्स करने चाहिए,लड़कियों आप मीडिया कोर्स करना छोड़ दें। ये समझ इसलिए भी पक्की हो सकती है कि पिछले साल जिस तरह से एक न्यूज चैनल ने अपनी ग्रांड ओपनिंग क

भूख से हर दिन 14,600 मौत

देविंदर शर्मा कुछ चौंकाने वाली छवियां मेरे मन में अब भी अंकित हैं. कोई 25 साल पहले मैं एक प्रमुख दैनिक में छपी खबर पढ़ रहा था, जिसमें लिखा था कि भारत में हर दिन करीब पांच हजार बच्चे मर जाते हैं. पिछले सप्ताह एक अखबार में छपी खबर ने फिर मेरा ध्यान खींचा. इसमें लिखा था कि भारत में 18.3 लाख बच्चे अपना पांचवां जन्मदिवस मनाने से पहले ही मर जाते हैं. मैंने तत्काल कागज और कलम उठाया और बच्चों की मृत्यु दर निकालने में जुट गया. मैं यह जानना चाहता था कि पिछले 25 सालों में बाल मृत्यु दर में कमी आई है या नहीं. मेरी हताशा बढ़ गई. गणना से पता चलता है कि रोजाना 5013 बच्चे कुपोषण और भुखमरी का शिकार हो जाते हैं. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे-3 के अनुसार भारत में पचास फीसदी बच्चे कुपोषित हैं, जिनमें से रोजाना 5 हजार बच्चे मौत के मुंह में समा जाते हैं. मेरी समझ से इस खबर पर हर भारतीय की सिर शर्म से झुक जाना चाहिए. दुनिया भर में 14,600 बच्चे हर रोज मर जाते हैं. इसका मतलब यह हुआ कि विश्व में कुल मरने वाले बच्चों के एक-तिहाई भारत में हैं. यह विडंबना तब है, जब अनाज गोदामों में सड़ रहा है. हां, भारत निश्चित