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Showing posts from November 17, 2009

लो क सं घ र्ष !: समय की सबसे बड़ी गाली-2

समय की सबसे बड़ी गाली का पहला भाग पढने के लिए यहाँ क्लिक करें ट्रेन में सफर करते हुए अगर कुछ सैनिक मिल जाएँ तो सम्मान से अपनी रिजर्व सीट छोड़ दें, अन्यथा आपको जबरदस्ती उठा दिया जाएगा, गुस्सा आने पर चलती ट्रेन से धक्का भी दिया जा सकता है। आज-कल सेना के जवानों द्वारा सिवीलियन्स की पिटाई, हत्या और बलात्कार जैसी घटनाएँ अक्सर सुनने में मिलती हैं। पता नहीं उन्होंने यह सब करना अपना अधिकार समझ लिया है या यह कुण्ठा है जो कहती है ‘‘इन्हीं लोगों की सुरक्षा के नाम पर हमें अमानवीय परिस्थितियों में रहना पड़ता है।‘‘ सच है-वे बहुत काम करते हैं, वे इतने व्यस्त हैं कि सी.आर.पी.एफ. भी अब रिजर्व नहीं रहा। इसके 87 फीसदी जवान किसी न किसी मुहिम से जुड़े हैं। जम्मू-कश्मीर में 39 प्रतिशत पूर्वोत्तर राज्य में 29 प्रतिशत और 19 फीसदी जवान देश के अन्दरूनी इलाकों में नक्सलियों से लड़ रहे हैं। जम्मू-कश्मीर में कठिन और लम्बे संघर्ष तथा पाकिस्तान की नकारात्मक भूमिका के बावजूद क्या भारत कश्मीर की समस्याओं में अपना हाथ होने से खुद को पूरी तरह निर्दोष करार दे सकता है। पूर्वोत्तर राज्यों की हम बात भी कैसे कर सकते हैं ज

मरो न व्यंग तीर.. जवानी का दोस्तों..

मारो न ब्यंग तीर जवानी का दोस्तों॥ पूछो न घटित घटना कहानी का दोस्तों॥ हम जा रहे अकेले रास्ते में मिली थी॥ उदास चेहरा लेके अकेले ही खड़ी थी॥ आता जो मुशाफिर आँखे टिकाता था॥ मन में खुशी के कुछ गीत गाता था॥ खोलती जुबान न थी रोकती थी होश को॥ मारो न ब्यंग तीर जवानी का दोस्तों॥ पूछो न घटित घटना कहानी का दोस्तों॥ मै जा रहा उधर को मुलाक़ात होगयी॥ चेहरा देखते ही आँखे चार हो गयी॥ सायकिल पर सवार थी हंस करके मैंने बोला॥ क्या बात है हूजुर गमगीन क्यो है ? चोला॥ हमें कही है जाना कुछ छोड़ दो॥ मारो न ब्यंग तीर जवानी का दोस्तों॥ पूछो न घटित घटना कहानी का दोस्तों॥ पीछे नही था साधन आगे उसे बिठाया॥ उत्तर से सायकिल को पूरब की तरफ़ घुमाया॥ जब सिमट करके बैठी चुल-बुली सी मच गयी॥ मानो बदन में मेरे बिजली चमक गयी॥ मजबूर मै बना खोया था जोश को ॥ मारो न ब्यंग तीर जवानी का दोस्तों॥ पूछो न घटित घटना कहानी का दोस्तों॥ गिरा दिया बगल में देखा जब नज़ारा॥ मै बेहोश गिर पडा न चाँद न सितारा॥ पहली बार प्यार का यही एक धक्का लगा॥ ओ कोई नार नही हमें छक्का लगा॥ जेब मेरी साफ़ थी खोया था नोट को॥ मारो न ब्यंग तीर जवानी का दोस्तों॥ पूछो न घ

बुढापे मा..

हमके सूझे न डगारिया॥ बुढ़ाई बेरिया॥ दुई लैका दुइनव अल्गारेन॥ नइखे poochhe पानी का॥ गुजरा ज़माना याद करी हम॥ रोई अपने जवानी का॥ चार बात उपरा से देवे॥ समझे लागे आपन चेरिया॥ हमके सूझे न डगारिया॥ बुढ़ाई बेरिया॥ नाती पोता मुह लडावे॥ सुने न कौनव काम॥ देहिया कय पौरुष जाय चुका॥ अबतो लागल पुण्य विराम॥ उन्ही के मुहवा पे बोले॥ नन्कौना कय हमारे धेरिया॥ हमके सूझे न डगारिया॥ बुढ़ाई बेरिया॥

"जो कुछ करते नहीं वो मर जाते हैं" - विश्वविख्यात कत्थक नृत्यांगना एवं विश्व की सबसे छोटी आयु की योगाचार्या - प्रतिष्ठा शर्मा

" जो कुछ करते नहीं वो मर जाते हैं"  विश्व की सबसे छोटी आयु की योगाचार्या एवं विश्वविख्यात कत्थक नृत्यांगना प्रतिष्ठा शर्मा के मनोरंजक संस्मरण जो वह खाड़ी देशों की यात्रा से लौट कर आपके साथ बांट रही हैं।   www.thesaharanpur.com/gulf.html   " सहारनपुर की धरती पर पांच सौ कलाकार अपने कैनवस और तूलिका के साथ अपनी कल्पनाओं को रंग भरने में जुटे।"  - सृजन २००९ फोटो गैलरी में मिलिये इन बाल एवं युवा कलाकारों से।   www.thesaharanpur.com/drawingcomp.html