समय की सबसे बड़ी गाली का पहला भाग पढने के लिए यहाँ क्लिक करें ट्रेन में सफर करते हुए अगर कुछ सैनिक मिल जाएँ तो सम्मान से अपनी रिजर्व सीट छोड़ दें, अन्यथा आपको जबरदस्ती उठा दिया जाएगा, गुस्सा आने पर चलती ट्रेन से धक्का भी दिया जा सकता है। आज-कल सेना के जवानों द्वारा सिवीलियन्स की पिटाई, हत्या और बलात्कार जैसी घटनाएँ अक्सर सुनने में मिलती हैं। पता नहीं उन्होंने यह सब करना अपना अधिकार समझ लिया है या यह कुण्ठा है जो कहती है ‘‘इन्हीं लोगों की सुरक्षा के नाम पर हमें अमानवीय परिस्थितियों में रहना पड़ता है।‘‘ सच है-वे बहुत काम करते हैं, वे इतने व्यस्त हैं कि सी.आर.पी.एफ. भी अब रिजर्व नहीं रहा। इसके 87 फीसदी जवान किसी न किसी मुहिम से जुड़े हैं। जम्मू-कश्मीर में 39 प्रतिशत पूर्वोत्तर राज्य में 29 प्रतिशत और 19 फीसदी जवान देश के अन्दरूनी इलाकों में नक्सलियों से लड़ रहे हैं। जम्मू-कश्मीर में कठिन और लम्बे संघर्ष तथा पाकिस्तान की नकारात्मक भूमिका के बावजूद क्या भारत कश्मीर की समस्याओं में अपना हाथ होने से खुद को पूरी तरह निर्दोष करार दे सकता है। पूर्वोत्तर राज्यों की हम बात भी कैसे कर सकते हैं ज