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Showing posts from May 15, 2012

मेरे लिए तो मेरा कच्चा रास्ता उनकी सड़क से बेहतर है-विशाल भारद्वाज

मैंने महसूस किया है की जब अजय ब्रह्मतम्ज किसी कलाकार से बात करते है तो वह ना केवल पाठक के लिए रोचक होती है बल्कि कलाकार भी उस रोचकता को पूरी शिद्दत से महसूस करता है,इसका नतीजा यह होता है की कलाकार कभी कभी ऐसे मोड़ों को भी उनके साथ बाँट जाता है जो आमतौर पर उसके अन्दर की दफ़न रहते है.आज हम यहाँ पर एक लेख प्रकाशित कर रहे है,यह लेख ना होकर एक बातचीत है जो विशाल भारद्वाज के सफ़र की जद्दोजद की कहानी कहती है,इसे लेख कहने का मतलब सिर्फ यही है की इसका रूप लेखात्मक है- संपादक- मेरा  बचपन मेरठ में गुजरा. मेरे पिता कवि थे और एक सरकारी दफ्तर में काम करते थे. सिनेमा ही हमार...