Skip to main content

Posts

Showing posts from July 27, 2010

प्यार बेदर्दी होता है...

क्या प्यार बेदर्दी होता है॥ यार ज़रा आजमाओ तो॥ कैसा इसका स्वाद लगा॥ एक बार हमें भी बताओ तो॥ जब गम का समंदर बन जाता॥ कोई डूबता उतराता है॥ कोई नया खिलाड़ी आता है॥ कोई गम का घूँट पी जाता है॥ सजा हुआ है प्रिये का मंडप॥ उसकी मांग सजाओ तो॥ कैसा इसका स्वाद लगा॥ एक बार हमें भी बताओ तो॥ जब ;दुल्हा बन के आओ गे॥ बाजे संग बाराती होगे॥ महफ़िल में रौनक जम जायेगी॥ हंसते सभी घराती होगे॥ बुला रहा है जयमाता भी॥ प्रिया को अपने पिन्हाओ तो॥ कैसा इसका स्वाद लगा॥ एक बार हमें भी बताओ तो॥ जैसे मंडप में जाओगे॥ बिष भरी हवाए डोलेगी॥ तेरे ही विपरीत दिशा में॥ सजी सहेलिया बोलेगी॥ फ़ोकट में बिकता प्यार नहीं॥ आगे नहीं हाथ बढ़ाओ तो॥ कैसा इसका स्वाद लगा॥ एक बार हमें भी बताओ तो॥

रूप बड़ा मस्ताना है॥

कितनी सुन्दर लगती हो॥ रूप बड़ा मस्ताना है॥ कितने भवरे मंडराते है॥ कितनो का दिल दीवाना है... मानो मणियो संग मोती गिरते॥ रह रह के जब हंसती हो॥ मन दरिया बन जाता है॥ आँखे आश लगाती है॥ होठ ज़रा मुस्काने दो॥ अपनी बात बताती है,,, झुक जाती है लता सखाये॥ रुक रुक के जब चलती हो॥ कान आनंदित हो जाते है॥ जब मधुर स्वरों में गाती हो॥ बादल भी हंसने लगते है॥ जब मुझसे प्रीति लगाती हो॥ तब हवा मगन हो मंगल गाती॥ अंकुर पर ओश जब गिरती है॥ सुख संपत्ति सब हंसने लगते॥ जब हमसे नैन मिलाती हो॥ मन की बात बताने में॥ कभी कभी सकुचाती हो...