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Showing posts from November 12, 2009

जिसे वन्दे मातरम्‌ गाना होगा, अवश्य गायेगा - फतवा हो या न हो !

इस्लामिक नेताओं द्वारा वन्दे मातरम्‌ के विरोध के विरोध में अनेकों स्तर पर क्षोभ व रोष का प्रदर्शन हुआ है।  दारुल उलूम देवबन्द द्वारा वन्देमातरम्‌ गायन हेतु मुसलमानों को अनुमति दे दिये जाने के समाचार से देश वासियों ने राहत की सांस ली ही थी कि अगले ही दिन दारुल उलूम के वन्दे मातरम्‌ विरोधी बयान फिर आ जाने से यह स्पष्ट हो गया कि कट्टरपंथी ताकतें सिर्फ पाकिस्तान सरकार पर ही हावी नहीं हैं , बल्कि दारुल उलूम देवबन्द भी इनका शिकार है। इतिहास गवाह है कि इस्लामिक भावनाओं का सम्मान करते हुए वन्दे मातरम्‌ को राष्ट्रगीत के रूप में स्वीकार करते समय उसमें केवल वे ही दो पद आधिकारिक रूप से स्वीकार किये गये थे जिनमें किसी भी प्रकार से मुस्लिम विरोध की भावना की कोई गुंजाइश नहीं थी।  पर अगर विरोध करने के लिये विरोध करना ही लक्ष्य हो तो एक कारण न रहे तो न सही ,  दूसरा कारण ढूंढ लिया जायेगा। यही वन्दे मातरम्‌ के साथ हो रहा है।  वन्दे मातरम्‌ का विरोध करने वाले कतिपय मुस्लिम मजहबी नेता व राजनीतिज्ञ सिर्फ अखबारों व टी.वी. चैनल पर अपने नाम और चेहरे देखने के लालच में ऐसे अतिवादी बयान और फतवे दिया करते है

गाय के गुण

जैसे हमारे यहाँ के मनुष्य धार्मिक प्रवृत के है । वैसे हमारी धरती पर जितने जिव जंतु है वे भी होते है। धार्मिक प्रवृत के । हमने कभी गौर नही किया । लेकिन भाभी के यहाँ यह अनुभव प्राप्त हुआ। हुआ यूं की हम लोग बैठ कर बातें कर रहे थे। की आगे का दरवाजा बंद था किसी ने खटखटाया। कहती हुयी जा रही थी की कोई नही होगा। गाय होगी॥ और दरवाजा खोला तो गाय ही थी। तो हमने बोला शायद सींग से खटखटाया होगा। सींग से नही खटखटाया जीभ से खटखटाया फ़िर कहने लगी की ११ गाय है जो इधर से रोज सुबह शाम आती जाती है। लेकिन दो गाय ऐसी है । वे कई लोगो के दरवाजे पर जाती है एक सींग से एक जीभ से कुण्डी खटखटाती है॥ लोग समझते है की कोई आया है । लेकिन जब सामने गाऊमाता को देखता है॥ कभी कभी तो डंडा लेके भगा देता है । और कभी कभी रोटी खिला देता है। देखो अभी मैभी डंडा लेके भगा रही हूँ । कुछ देर पहले सींग वाली गाय आई थी मैंने रोटी उसे दे दी। है। क्या बात है सींग से समझ में आया लेकिन जीभ वाली बात समझ में नही आई तभी भाभी से सामने वाली घर की तरफ़ इशारा करते हुए कहा की देखो उधर कैसे जीभ से कुण्डी उठा गिरा रही है। मै तो यह द्रश्य देख कर अचंभित