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Showing posts from February 6, 2011
यूँ आंसुओं पर ना जाओ मेरे .. Saturday, February 5, 2011 यूँ सूखे हुए आंसुओं पर न जाओ मेरे कभी हम भी थे जो हर रोते हुए को हंसाया करते थे , आज मिल कर उनसे खुद को भी मुस्कुराए हुए बरस हो गये हें ...... । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान Posted by अख़्तर खान 'अकेला' at 7:30 PM , 0 comments में जिसकी राह देखता हूँ ............ . में जिसे यूँ प्यार से निहारता था जिसके एक इशारे पर अपना सब कुछ यूँ ही न्योछावर करता था आज वोह उठ कर चल दिए हें कुदरत का मुझ पर कहर देखिये जिन्हें चाहा जिंदगी से ज्यादा जिंदगी भर मेने आज वोह मेरी तरफ मूढ़ कर भी नहीं देखते हें और हम हें के बस उन्हीं उनकी राह तकते हें ............. । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान Posted by अख़्तर खान 'अकेला' at 7:27 PM , 0 comments घर जला हुआ ... में आज फिर अपने जले हुए घर को देख रहा था उस घर की चीखें उस घर की चीत्कार सुन सुन कर सिहर रहा था सुने से , टूट कर बिखरे इस घर को फिर से संवारने की सोच रहा था के बस फिर वही सामने आ गये