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Showing posts from August 29, 2013

dwipadi --sanjiv

द्विपदी सलिला: इस आभासी जग में : संजीव  *  इस आभासी जग में सचमुच, कोई न पहरेदार शिक्षित-बुद्धिमान हमलावर, देते कष्ट हजार * जिनसे जानते हैं जीवन में, उन्हें बनायें मित्र 'सलिल' सुरक्षित आप रहेंगे, मलिन न होगा चित्र * भली-भाँति कर जाँच- बाद में, भले मित्र लें जोड़ संख्या अधिक बढ़ाने की प्रिय!, कभी न करिए होड़ * नकली खाते बना-बनाकर, छलिए ठगते मीत प्रोफाइल लें जाँच, यही है, सीधी-सच्ची रीत * पढ़ें पोस्ट खाताधारी की, कितनी-कैसे लेख लेखक मन की देख सकेंगे, रचनाओं में रेख * नकली चित्र लगाते हैं जो, उनसे रहिए दूर छल करना ही उनकी फितरत, रही सजग जरूर * खाताधारक के मित्रों को देखें, चुप सायास वस्त्र-भाव मुद्राओं से भी, होता कुछ आभास  * देह-दर्शनी मोहकतामय, व्याल-जाल जंजाल दिखें सोचिए इनके पीछे, कैसा है कंकाल? * संचित चित्रों-सामग्री को, देख करें अनुमान जुड़ें-ना जुड़ें आप सकेंगे, उनका सच पहचान * शिक्षा, स्वजन, जीविका पर भी, तनिक दीजिए ध्यान  चिंतन धरा से भी होता, चिन्तक का अनुमान  * नेता अभिनेता फूलों या, प्रभु के चिपका चित्र जो परदे में छिपे- न उसका, विश्वसनी