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Showing posts from June 13, 2010

अभियान को कामयाब बनाने में अपना योगदान प्रदान करें

भोपाल त्रासदी में हमने जो खोया उसे सारी दुनिया जानती है ,हिन्दुस्तान का दर्द  पीड़ितों के पक्ष और सत्ताधीशों की गलत बातों के विपरीत अभियान चला रहा  है । आज इस अभियान में सांसदों को, सरकार को, सुप्रीम कोर्ट को यदि हम एक पोस्टकार्ड लिखकर, याचिका लगाकर केस पुन: खुलवाने की आवाज उठाएंगे तो मानवता के बड़े अभियान में सहभागी होंगे। पीड़ितों को सफलता निश्चित मिलेगी। क्योंकि सारा देश उनके साथ है।तो हिन्दुस्तान के सभी पाठकों एवं लेखकों से मेरा आग्रह है की इस अभियान को कामयाब बनाने में अपना योगदान प्रदान करें,जिससे उन लाखों पीड़ितों को इन्साफ मिल सके एवं जनता की आवाज़ हमेशा की तरह एक बार  फिर बुलंद हो सके...  संजय सेन सागर   जय हिन्दुस्तान-जय यंगिस्तान     

नरक के दरवाजे में पहुंची कार, बचा ड्राइवर

चीन में एक ड्राइवर उस समय बाल-बाल बच गया जब एक व्यस्त सड़क में अचानक हुए गढ्ढे में उसकी कार चली गई। चीन के नामचेंग शहर में व्यस्त सड़क पर बने इस सिंकहोल में यह कार कुछ इस तरह धंस गई की ड्राइवर का निकलना मुश्किल हो गया। बाद में क्रेन की मदद से ड्राइवर को निकाला गया। चीन में इस तरह के गढ्ढें होने के मामले में बढ़ोत्तरी हुई है। पिछले दो हफ्तों में यह इस तरह का 8वां गढ्ढा है। अप्रैल से अब तक ही ऐसे 35 गढ्ढें देखे जा चुके हैं। हाल ही में ग्वाटेमाला सिटी में सड़क पर हुए एक ऐसे ही विशाल गढ्ढे को नरक के दरवाजे की संज्ञा दी गई थी। जमीन के नीचे की परते खिसक जाने के कारण ही सतह पर अचानक ऐसे गढ्ढे हो जाते हैं। तस्वीरों में देखिए फंसी कार ग्वाटेमाला सिटी में हुआ गढ्ढा, इसमें एक फैक्ट्री समा गई थी

लो क सं घ र्ष !: हिंदी ब्लॉगिंग की दृष्टि से सार्थक रहा वर्ष-2009, भाग-4

वहीं मँहगाई के सन्दर्भ में हवा पानी पर प्रकाशित एक कविता पर निगाहें जाकर टिक जाती हैं जिसमें कहा गया है कि हमनें इस जग में बहुतों से जीतने का दावा किया पर बहुत कोशिशों के बाद भी हम मँहगाई से जीत नहीं पाए। वहीं कानपुर के सर्वेश दुबे अपने ब्लॉग ‘ मन की बातें ’ पर फरमाते हैं - कुछ समय बाद किलो में , वस्तुएँ खरीदना स्वप्न हो जाएगा , 10 ग्राम घी खरीदने के लिए भी बैंक सस्ते दर पर कर्ज उपलब्ध कराएगा। नमस्कार में प्रो . सी . बी . श्रीवास्तव की कविता छपी है जिसमें कहा गया है कि - मुश्किल में हर एक साँस है , हर चेहरा चिंतित उदास है। वे ही क्या निर्धन निर्बल जो , वे भी धन जिनका कि दास है। फैले दावानल से जैसे , झुलस रही सारी अमराई। घटती जातीं सुख सुविधाएँ , बढ़ती जाती है मँहगाई। आमजन से मेरा अभिप्राय उन मजदूरों से है जो रोज कुआँ खोदता है और रोज पानी पीता है। मजदूरों की चिंता और कोई करे या न करे मगर हमारे बीच एक ब्लॉग है जो मजदूरों के हक

लो क सं घ र्ष !: हिंदी ब्लॉगिंग की दृष्टि से सार्थक रहा वर्ष-2009, भाग-3

वर्ष -2008 में 26/11 की घटना को लेकर हिन्दी ब्लॉग जगत काफी गंभीर रहा। आतंकवादी घटना की घोर भत्र्सना हुई और यह उस वर्ष का सबसे बड़ा मुद्दा बना , मगर इस वर्ष यानी 2009 में जिस घटना को लेकर सबसे ज्यादा बवाल हुआ वह है समलैंगिकता के पक्ष में दिल्ली हाई कोर्ट का फैसला। पहली बार हिन्दुस्तान ने समलैंगिकता के मुद्दे पर सार्वजनिक रूप से बहस किया है। हिन्दी ब्लॉग जगत ने भी इसके पक्ष विपक्ष में बयान दिए और देश में समलैंगिकता पर बहस एकबारगी सतह पर आ गई । किसी ने कहा कि लैंगिक आधार पर किसी भी तरह के भेदभाव का स्थान आधुनिक नागरिक समाज में नहीं है, पर लैंगिक मर्यादाओं के भी अपने तकाजे रहे हैं और इसका निर्वाह भी हर देश काल में होता रहा है, तो किसी ने कहा कि भारतीय दंड विधान की धारा 377 जैसे दकियानूसी कानून की आड़ में भारत के सम लैंगिक और ट्रांसजेंडर लोगों को अकारण अपराधी माना जाता रहा है, लेकिन दिल्ली उच्च न्यायालय ने किसी भी प्रकार के यौन और जेंडर रुझानों से ऊपर उठकर सभी नागरिकों के अधिकार को मान्यता देने का ऐति