शब्द अभिव्यक्ति बन जाते हैं और यकीनन यह शब्द ही मेरा सुकून हैं .............रश्मि प्रभा ज़िन्दगी के दर्द ह्रदय से निकलकर बन जाते हैं कभी गीत, कभी कहानी, कोई नज़्म, कोई याद ......जो चलते हैं हमारे साथ, ....... वक़्त निकालकर बैठते हैं वटवृक्ष के नीचे , सुनाते हैं अपनी दास्ताँ उसकी छाया में । लगाते हैं एक पौधा उम्मीदों की ज़मीन पर और उसकी जड़ों को मजबूती देते हैं ,करते हैं भावनाओं का सिंचन उर्वर शब्दों की क्यारी में और हमारी बौद्धिक यात्रा का आरम्भ करते हैं.... आप सभी का स्वागत है इस यात्रा में कवियित्री रश्मि प्रभा के साथ ..... बहन रश्मि प्रभा एक काम काजी महिला हैं और अपने दिल में दर्द,जज्बात,बुलंद इरादों के साथ अल्फाजों की जादूगरी ,कर जो शब्द यात्रा पर चलती हैं ,उससे जो साहित्य ,जो रचना ,जो कविता, जो लेख, जो क्षणिका, बनती है ,बस पढ़ते ही दिल से वाह निकल जाती है, और इंसान खुद बा खुद अपने जज्बातों में खो जाता है बस साहित्य इसी का नाम है ,और यह कमाल करने में बहन रश्मि प्रभा को महारत हांसिल है इसीलियें आज यह ब्लोगिंग की खुसू