पहले वाले में नही रौनक थी॥ मुह से बदबू आता है॥ १०० में ७० तिरियो को॥ दुसरा सिन्दूर सुहाता है॥ मनमौजी जब रह नही पाती॥ छिनछिन पर गुर्राती है॥ मुझको मेरे मइके भेजो॥ सासू से टकराती है॥ पति देव अचरज में पड़ गए॥ अब काला शेर दिखाता है॥ १०० में ७० तिरियो को॥ दुसरा सिन्दूर सुहाता है॥ जब बेटा अपने पथ पर आता॥ माँ बाप का मान बढाता है॥ दर्ज मुक़दमे हो जाते है॥ पगला पीसा jaataa है॥ संबंधो की गाठे खुल गई॥ तब दूजा प्यार दिखाता है,,,