व्यंग्य गीत:   हम सर्वोत्तम…   संजीव *   हम सर्वोत्तम, हम सर्वोत्तम… *   चमत्कार की कथा सुनाएँ,   पत्थर को भी शीश नवाएँ।   लाख कमा चोरी-रिश्वत से-   प्रभु को एक चढ़ा बच जाएँ।   पाप करें, ले नाम पुण्य का   तनिक नहीं होता पल भर गम हम सर्वोत्तम, हम सर्वोत्तम… *   श्रम-कोशिश पर नहीं भरोसा,   किस्मत को हर पल मिल कोसा।   जोड़-तोड़, हेरा-फेरी को-   लाड-प्यार से पाला-पोसा।   मौज-मजा-मस्ती के पीछे   भागे ढोल बजाते ढम-ढम हम सर्वोत्तम, हम सर्वोत्तम… *   भाषण-वीर न हमसा कोई,   आश्वासन की फसलें बोई।   अफसरशाही ऐश कर रही-   मुफलिस जनता पल-पल रोई।   रोटी नहीं?, पेस्ट्री खालो-   सुख के साथ मानते हैं गम। हम सर्वोत्तम, हम सर्वोत्तम… *   सस्ती औषधि हमें न भाती,   डॉक्टर यम के मित्र-संगाती।   न्यायालय छोड़ें अपराधी-   हैं वकील चोरों के साथी।   बनें बाद में, पहलें टूटें   हैं निर्माण भले ही  बेदम हम सर्वोत्तम, हम सर्वोत्तम… *   कोई नंगा मजबूरी में,    कोई नंगा मगरूरी में।   दूरी को दें नाम निकटता-   कहें निकटता है दूरी में।   सात जन्म का बंधन तोड़ें   पल में गर पाते दहेज़ कम हम सर्वोत्तम, हम सर्वोत्तम… ...