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Showing posts from July 25, 2013

vyangya geet ham sarvottam SANJIV

व्यंग्य गीत: हम सर्वोत्तम… संजीव * हम सर्वोत्तम, हम सर्वोत्तम… * चमत्कार की कथा सुनाएँ, पत्थर को भी शीश नवाएँ। लाख कमा चोरी-रिश्वत से- प्रभु को एक चढ़ा बच जाएँ। पाप करें, ले नाम पुण्य का तनिक नहीं होता पल भर गम हम सर्वोत्तम, हम सर्वोत्तम… * श्रम-कोशिश पर नहीं भरोसा, किस्मत को हर पल मिल कोसा। जोड़-तोड़, हेरा-फेरी को- लाड-प्यार से पाला-पोसा। मौज-मजा-मस्ती के पीछे भागे ढोल बजाते ढम-ढम हम सर्वोत्तम, हम सर्वोत्तम… * भाषण-वीर न हमसा कोई, आश्वासन की फसलें बोई। अफसरशाही ऐश कर रही- मुफलिस जनता पल-पल रोई। रोटी नहीं?, पेस्ट्री खालो- सुख के साथ मानते हैं गम। हम सर्वोत्तम, हम सर्वोत्तम… * सस्ती औषधि हमें न भाती, डॉक्टर यम के मित्र-संगाती। न्यायालय छोड़ें अपराधी- हैं वकील चोरों के साथी। बनें बाद में, पहलें टूटें हैं निर्माण भले ही बेदम हम सर्वोत्तम, हम सर्वोत्तम… * कोई नंगा मजबूरी में, कोई नंगा मगरूरी में। दूरी को दें नाम निकटता- कहें निकटता है दूरी में। सात जन्म का बंधन तोड़ें पल में गर पाते दहेज़ कम हम सर्वोत्तम, हम सर्वोत्तम…