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Showing posts from March 3, 2009

खेल पर हमलाः खिलाड़ियों की प्रतिक्रिया

आज यानी 3 मार्च 2009 को श्रीलंका क्रिकेट टीम पर हुए आतंकी हमले को क्रिकेट जगत का काला दिन कहा जा सकता है। यह सिर्फ श्रीलंका टीम पर नहीं बल्कि संपूर्ण क्रिकेट जगत और खेल पर हमला है। पूरे खेल जगत ने इस हमले की घोर निंदा की है। चारों ओर से खिलाड़ियों को बयान आ रहे हैं। इतिहास में यह पहला मौका है जब सीधे खिलाड़ियों को आतंकियों ने निशाना बनाया है। पाकिस्तान के कप्तान यूनिस खान ने कहा कि यह काफी दुखद घटना है और इसके लिए श्रीलंकाई खिलाड़ियों से मांफी मांगते हैं। अगर हम भी घटना स्थल पर होते तो यह सब बर्दाश्त नहीं कर पाते। हमारी बस श्रीलंकाई खिलाड़ियों की बस से पांच मिनट बाद होटल से निकली थी। यदि दोनों बसें एक ही समय पर निकलतीं तो अंजाम कुछ और ही होता। क्या रही विश्व के खिलाड़ियों की प्रतिक्रिया- हमारे देश के खिलाड़ियों के लिए यह काफी दुखद घटना है। - सनत जयसूर्या, पूर्व कप्तान, श्रीलंका इस घटना के बाद अब किसी भी टीम को पाकिस्तान में क्रिकेट नहीं खेलना चाहिए। - जहीर अब्बास, पूर्व क्रिकेटर, पाकिस्तान यह काफी दुखद घटना है। पूरा क्रिकेट जगत श्रीलंका के साथ है।- रिकी पोंटिंग- कप्तान, आस्ट्रेलिया इस

एहे मेरे मन क्यों तू अकेला सा है ..........

संजय .....लिखा और पढ़ना सब नही जानते जो दिल की बात को समझे वही लिख सकता है .... मेरा ये लिखा उन सबको समर्पित है जो ..हताशा में है चाहे वो मै...ही ख़ुद क्यों ना हू ................................ .................................................................................. एहे मेरे मन तू मुझे ये बता क्यों तू अकेला सा है .. क्यों तेरा ये चेहरा .. बुझा सा है जीवन के पथ पर तू क्यों यु पड़ा अकेला सा है .. अपने राही को ले थाम उसका हाथ .. मुश्किलों का कर सामना .. तू चंदन सामान बन .. दे अपनी खुशबु सब को पर चिता की लकडी ..मत बन बन कर खुशबु ..छा जा हर जीवन को महका जा .. अपना हर्ष मुखित चेहरा लिए ....... ले दुनिया को जीत तू ... निर्भयता से कर सामना ... हर मुश्किल का तू .. अपनी आप बीती को छोड़ . वर्तमान मे जीना सीख .. अपनी स्मृतिय्यो..को. रख साथ मे धर्य रख .... उठ चल आगे बढ.. उस चींटी के समान तू .... जो ना कभी डरी किसी से जिस के आगे हाथी ने भी मानी हार है ... एहे मेरे मन तू मुझे ये बता क्यों तू अकेला सा है ................... ...(कृति...अनु......)

फोटोग्राफी क्लासरूम - आइये शटर को समझें ! Photography Classroom - Let's understand the shutter !

आपने कभी ऐसे फोटोग्राफर से फोटो खिंचवाई है जो एक बड़े से डब्बे के पीछे काला कपड़ा सिर पर डाल कर कुछ काला जादू सा करता रहता है फिर आपसे कहता है कि "हिलना मत" और लेंस के आगे लगे हुए ढक्कन को हटाता है , चिड़िया सी उड़ाता है और ढक्कन को वापिस लेंस पर लगा देता है ?   वह काला डब्बा निश्चय ही एक पुराने जमाने का कैमरा हुआ करता था।  आठ घंटे तो नहीं , हां 2 या 3 सेकेंड का समय इस कैमरे को चाहिये होता था आपकी फोटो खींचने के लिये।  लेंस का ढक्कन हटने से लेकर ढक्कन वापिस लगाने तक का समय अंदाज़े से दिया जाता था। फोटोग्राफर होशियार होता था तो वह स्टॉप वाच की सहायता लेता था।    Please visit www.sushantsinghal.blogspot.com to read further.     Sushant K. Singhal email :  singhal.sushant@gmail.com  

'इससे बुरा कुछ नहीं हो सकता था'

ये सिर्फ़ पाकिस्तान के लिए ही नहीं पूरी दुनिया के लिए, क्रिकेट के खेल के लिए एक बहुत बड़ा सदमा है, एक बहुत बड़ी ट्रेजडी है. क्रिकेट के लिए इससे बुरा कुछ नहीं हो सकता. पाकिस्तान में आंतकवाद की त्रासदी अब राजनीतिक मंच से उठकर खेल के मैदान पर आ चुकी है. भारतीय टीम ने जनवरी का अपना दौरा यही समझकर रद्द कर दिया था कि उसके खिलाड़ी पाकिस्तान में सुरक्षित नहीं होंगे, यह आशंका सही साबित हो गई है. आज का दिन पाकिस्तान की जनता के लिए बहुत बुरा दिन है, पाकिस्तान की जनता क्रिकेट को दिलोजान से चाहती है, यह एक ऐसा खेल है जो पूरे इलाक़े को एक-दूसरे से जोड़ता है. क्रिकेट पर हमला पाकिस्तानी जनता के लिए बहुत बड़ा सदमा है. पाकिस्तान के पाँच पुलिसवाले जान गँवा चुके हैं और श्रीलंका के मेहमान खिलाड़ी घायल हैं, यह बहुत ही अफ़सोस की बात है पाकिस्तान के लिए, पाकिस्तानियों के लिए और क्रिकेट के लिए. पाकिस्तान में हुई यह घटना बहुत गंभीर है और आगे पाकिस्तान के लिए अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैचों का आयोजन करना बहुत मुश्किल हो जाएगा. पाकिस्तान की मौजूदा सरकार काफ़ी कमज़ोर है और तालेबान और दूसरे ऐसे लोगों से निबटना उसके लिए

पूजा करने में मन न लगने की शिकायत

विनय बिहारी सिंह अक्सर आपको यह सुनने को मिलेगा कि क्या करें पूजा का जो नियम है उसका पालन करता हूं, लेकिन मन का क्या करूं। कैसे उसे वश में करूं। दो मिनट तो ठीक रहता है, लेकिन उसके बाद मन हजार जगह भटकने लगता है। कई बार कोशिश की, लेकिन सफलता नहीं मिलती। अब तो सोचता हूं, यह मेरे वश में नहीं है। यही सवाल एक सन्यासी से पिछले दिनों एक व्यक्ति ने पूछा। सन्यासी ने कहा- इसका मतलब है कि भगवान से भी ज्यादा आपको कोई चीज प्यारी है। उस व्यक्ति ने कहा- नहीं। ऐसा हो ही नहीं सकता। भगवान से बढ़ कर कोई हो ही कैसे सकता है। तब सन्यासी ने कहा- अगर भगवान से बढ़ कर कोई औऱ नहीं है तो फिर आपका मन भगवान से कौन हटाता है? उस व्यक्ति ने कहा- पता नहीं। लेकिन अचानक मन भटकने लगता है। सन्यासी ने पूछा- मन किसका है? उस व्यक्ति ने कहा- मेरा है। तब तो आपका मन आपके वश में होना चाहिए। उस व्यक्ति ने कहा- लेकिन यही तो समस्या है सन्यासी जी। मेरा मन है और मेरे कहने में नहीं है। सन्यासी ने कहा- यह तो बुरी बात है। तब आपका पहला काम है- अपने मन को वश में करना। जब आप चाहते हैं तो हाथ उठा देते हैं। या हाथ से काम करने लगते हैं। लेकिन ज

हिंद युग्म के द्वारा ठुकराई गयी मेरी एक कविता

आज हम आपके सामने जो कविता प्रकाशित कर रहे है बह कलम का सिपाही प्रतियोगिता की नहीं है इसे मैंने हिंद युग्म की एक प्रतियोगिता के लिए भेजा था लेकिन इसे वहा जगह नहीं मिली क्योंकि शायद यह उतनी अच्छी नहीं थी या बिलकुल अच्छी नहीं थी ,पर यह मेरी अच्छी कविताओं मे से एक है ! तो बिना किसी शिकायत और बिना किसी गिला के मैं आपको यह रिजेक्ट माल पढ़ा रहा हूँ अच्छा लगे तो अच्छी बात है और न लगे तो एक जगह से और रिजेक्ट सही!! तुमने मुझे याद किया तो होगा ? सावन की रिमझिम बारिस में बूंदों ने, तुमको छुआ तो होगा बूंदों के स्पर्श से सच कुछ हुआ तो होगा! तुफानो की तेज हवा से दिल धड़का तो होगा देख आसमा में काली बिजली तुमने मुझे याद किया तो होगा ? गर्मी के हर तपन पलों में जी-जला तो होगा घर लौटते मुसाफिरों को देख बच्चों ने मेरे बारे मे पुछा तो होगा सुनकर उनकी प्यारी बातें तुमने मुझे याद किया तो होगा ? शरद ऋतु की बर्फीली सर्दी में कोई ख्वाब बुना तो होगा चाही होंगी आंच जरा सी और जिस्म शून्य पड़ा होगा! हो गया होगा जब लहु बर्फ तुम्हारा तुमने मुझे याद किया तो होगा ? बसंत ऋतु की बेला में कोई फूल खिला तो होगा उस बसंती