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Showing posts from March 6, 2009

चाभी............आरती "आस्था"

जैसे तालों को खोलने के  लिए होती हैं  चाभियाँ काश वैसे  ही होती  चाभियाँ परत-दर-परत  चेहरों  को खोलने के लिए भी  तब सहज होती अपने- पराये की पहचान तब न कदम-कदम पर छले जाते हम और न दोष  देते किस्मत  को .............|

इंजीनियरिंग का छात्र कर रहा है मजदूरी

भोपाल। आंध्रप्रदेश में इंजीनियरिंग के एक छात्र को उच्च शिक्षा के लिए लिए गए कर्ज को अदा करने के लिए मजदूरी करनी पड़ रही है। सूचना प्रौद्योगिकी के लिए अग्रणी इस राज्य के वारंगल जिले के जनगांव मंडल के पेमबेर्थी गांव के विद्याभारती इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्निकल में बी.टेक. तृतीय वर्ष के छात्र बीरू बालाकृष्णन को पढ़ाई के साथ ही साहूकार का कर्ज चुकाने के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत संचालित निर्माण कार्यों में मजदूरी कर पसीना बहाना पड़ रहा है। पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) द्वारा आयोजित आंध्रप्रदेश के दौरे पर हाल ही में गए मध्यप्रदेश के पत्रकारों ने वारंगल जिले के पिद्दारामनचेरला गांव में चल रहे भूमि समतलीकरण के कार्य में जुटे श्रमिकों के बीच बीरू को भी देखा। ऐल्लमा गांव के 20 वर्षीय बीरू ने बताया कि उसके पिता बुनकर है जिससे पर्याप्त आमदनी नही होती है उसका एक भाई कक्षा 10वीं में पढ़ रहा है। बीरू ने बताया कि वह रविवार को और छुट्टी के दिन अपने गांव से तीन-चार किलोमीटर दूर पिद्दरामचेरली गांव में मजदूरी के लिए आता है और अब तक तीस दिन का काम कर चुका है। काम के लिए उसका ‘जॉब कार्ड’ भ

उस अनजानी लड़की से जाना, आसान नहीं है पहचान पाना

प त्रकारिता के क्षेत्र में दो दशक बिताने के बाद मैं मनुष्यों के स्वभाव, व्यवहार और प्रकृति को काफी हद तक समझने लगा हूं। मैं हमेशा मानता हूं कि किसी भी व्यक्ति को समझना बहुत कठिन नहीं है। पर एक बार एक ऐसी घटना हुई, जिसने मेरी सारी धारणा-अवधारणा को गलत साबित कर दिया। उस घटना से ऐसा कटु अनुभव हुआ कि मुझे आज तक लगता है, किसी को पहचानने में ऐसी भूल मुझसे कैसे हो गई। बात पांच-छः साल पुरानी है। हमेशा की तरह काम निपटा कर मध्य रात्रि के बाद घर जाने के लिए आफिस से बाहर निकला तो बाजू में स्थित एक अपार्टमेन्ट के नीचे दीवाल से सटकर कोई खड़ा दिखा। रात में सतर्क रहने की आदत है, इसी कारण उसका हिलता हुआ हाथ आसानी से दिख गया। कार रोकी तो वहां एक लड़की नजर आई जो तत्काल बाहर आ गई। उसने रेलवे स्टेशन तक छोड़ देने का आग्रह किया। दिमाग ने कहा- आफिस से किसी को बुला लो। इतने में कार रुकी देखकर दो-तीन जूनियर लड़के भी आ गए। सभी ने एक मत से निर्णय लिया कि लड़की को पुलिस को सौंप देना चाहिए। समीप ही सिविल लाइंस थाना था, जहाँ फोन कर दिया तो पुलिस भी आ गई। हालांकि लड़की बार-बार कहती रही कि उसे पुलिस के पास मत भेजो, ग

जगत गुरु- नराशंश महर्षि !

"आप इतिहास के एक मात्र व्यक्ति हैं जो अन्तिम सीमा तक सफल रहे धार्मिक स्तर पर भी और सांसारिक स्तर पर भी "   यह टिप्पणी एक ईसाई वैज्ञानिक डा0 माइकल एच हार्ट की है जिन्होंने अपनी पुस्तक The 100 (एक सौ) में मानव इतिहास पर प्रभाव डालने वाले संसार के सौ अत्यंत महान विभूतियों का वर्णन करते हुए प्रथम स्थान पर जिस महा पुरूष को रखा है उन्हीं के सम्बन्ध में यह टिप्पणी लिखी है। अर्थात संसार के क्रान्तिकारी व्यक्तियों की छानबीन के बाद सौ व्यक्तियों में प्रथम स्थान ऐसे महापुरुष को दिया है जिनका वह अनुयाई नहीं। जानते हैं वह कौन महा-पुरुष हैं…….? उनका नाम मुहम्मद हैः मुहम्मद सल्ल0 वह इनसान हैं जिनके समान वास्तव में संसार में न कोई मनुष्य पैदा हुआ और न हो सकता है जबहि तो एक वैज्ञानिक लेखक जब हर प्रकार के पक्षपात से अलग होकर क्रान्तिकारी व्यक्तियों की खोज में निकलता है तो उसे पहले नम्बर पर यही मनुष्य देखाई देते हैं।  ऐसा क्यों ? आख़िर क्यों मुहम्मद सल्ल0 को उन्होंने संसार में पैदा होने वाले प्रत्येक व्यक्तियों में प्रथम स्थान पर रखा हालाँकि वह ईसाई थे, ईसा अलै0 अथवा किसी अन्य इसाई विद्धानो

शाकाहार के समर्थन में मेरा एक विनम्र निवेदन

विनय बिहारी सिंह रोज मेरे घर के सामने से कुछ कसाई बकरियों का झुंड ले जाते हैं। मैं कोलकाता में रहता हूं। सुबह- सुबह ये बकरियां जिस तरह चिल्लाती हुई जाती हैं, वह विलाप से भी बदतर लगता है। साफ है कि बकरियां जानती हैं कि उनकी हत्या की जाएगी। यह वही समझ सकता है जिसने बकरियों का यह चित्कार सुना हो। मैं रोज यह चित्कार सुन कर हिल जाता हूं। इन बकरियों का मांस खा कर हम कौन सी नियामत पाते होंगे, मेरी समझ से बाहर है। मुझे यह चित्कार कभी नहीं भूलती। सचमुच जो लोग कहते हैं कि मांस खाना अपने पेट को कब्र में तब्दील करना है, वे गलत नहीं कहते। शाकाहार के तो अनगिनत फायदे हैं। आप पहले वे चित्कार सुनें, फिर मांसाहार पर गौर करें। यह चित्कार कोलकाता में ही नहीं, हर कहीं सुनाई दे सकता है। पौधों और पेड़ों के फल व सब्जियां तोड़ना उनकी हत्या नहीं है। अगर आम आप नहीं तोड़ेंगे तो वह स्वतः ही पक कर गिर जाएगा। संतों ने तो कहा ही है-वृक्ष कबहुं न फल भखै, नदी न संचै नीरपरमारथ के कारने, साधुन धरा शरीर। शाकाहार ही मनुष्य के लिए श्रेष्ठ है। ऐसा श्रेष्ठ पोषक तत्व विग्यानियों ने कहा है। (मैं तकनीकी कारणों से ग्य ही लिख पा र

अमर शहीदों की याद में...........

जो आये थे इस धरती पर इक रह दिखा कर चले गए जो सबको नवल रोशनी दे वो दीप जला कर चले गए हाँ गूँज रहा हर और आज उदबोधन उनका जन जन में आँखें आँसू से भर उठती जगती उनकी श्रद्धा मन में हो गए अमर दे प्राण दान माँ की बलिवेदी पर अपना कर गए पूर्ण जो देखा था स्वर्णिम आजादी का सपना कुर्बानी की राहों पर हाँ हिम्मत से चलने वालों पर मैं अपने छंद सुनाता हूँ इतिहास बदलने वालों पर जब नाम गूंजता है उनका श्रद्धा से सर झुक जाते हैं शोणित की गति हो तेज़ उठे जब याद वीर वो आते हैं इस भारत माता के सपूत योद्धा अतुलित बलिदानी थे गोरों के घुटने टिकावाये अद्भुत अचूक सेनानी थे वो अथक लडे बन शूरवीर करने को युग का परिवर्तन इस मातृभूमि पर लुटा दिया उन वीरों ने सारा जीवन रण में बन बिजली टूट पड़े भारत को छलने वालों पर मैं अपने छंद सुनाता हूँ इतिहास बदलने वालों पर जलती थी भारत की धरती अंग्रेजी अत्याचारों से भारतवासी महरूम रहे सत्ता के सब अधिकारों से लगता था मेरा देश, मुल्क कायरता और गुलामी का सर झुका झेलते थे सारे हाँ ये कलंक बदनामी का तब उदित हुए योद्धा विचित्र, चमके बनकर इक अंगारा थर थर थर हिला दिया मिलकर अंग्रेजों का शासन