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Showing posts from March 17, 2010

ये भी कोई हर्जाना है!

सरकार ने परमाणु हर्जाना विधेयक लोकसभा में पेश नहीं किया, यह अच्छा किया। पेश न करने का कारण यह भी हो सकता है कि 35 कांग्रेस सांसद अनुपस्थित थे और सारे विरोधी दल एकजुट थे। वह पेश होता तो शायद गिर जाता। कारण जो भी हो, इस विधेयक का अटक जाना भारत के हित में है। यह ठीक है कि प्रधानमंत्री अगले माह जब अमेरिका जाएंगे तो यह विधेयक उनके हाथ में नहीं होगा, लेकिन क्या कीचड़ में सने हाथों के साथ जाने से यह कहीं अच्छा नहीं कि वे खाली हाथ ही जाएं? जाहिर है कि इस विधेयक को कानून बनने में जितनी देर लगेगी, भारत-अमेरिकी परमाणु सहयोग में उतनी ही देर होती चली जाएगी, क्योंकि अमेरिकी सरकार का आग्रह है कि भारत पहले परमाणु दुर्घटना की स्थिति में हर्जाने के सवाल को सुलझाए। अमेरिका किसी भी हालत में कोई भी हर्जाना नहीं भरना चाहता। सच्चई तो यह है कि भारत में इस तरह का कोई कानून पहले से बना हुआ ही नहीं है। लगभग 50 साल पहले जब परमाणु ऊर्जा संबंधी कानून बना तो उस समय यह कल्पना ही नहीं रही होगी कि कभी भयंकर परमाणु दुर्घटना हो सकती है। इस तरह की दुर्घटनाओं के बारे में दुनिया की नींद तब टूटी, जब 1979

लो क सं घ र्ष !: पोथी पढ़ पढ़ जगमुआ, पंडित भया न कोय......

यह कहावत तो आप ने सुनी होगी जब जागे तब सबेरा। यह खबर आई है। कौतूहल पूर्ण और प्रशंसनीय। इस वर्ष की बोर्ड परीक्षा दे रहे हैं भाजपा सरकार में समाज कल्याण राज्यमंत्री रहे दल बहादुर कोरी। यह पूर्व राज्यमंत्री रहे दल बहादुर कोरी। यह पूर्व राज्यमंत्री इस वर्ष प्रतापगढ़ के एक केन्द्र से हाईस्कूल की परीक्षा दे रहे हैं। देर शायद दुरूस्त आयद। यही क्या कम है कि सुबह के भूले शाम को घर पहुंचे। साक्षरता या समाज में शिक्षा के प्रसार के लिये सरकारें या समाज में शिक्षा के प्रसाद के लिये सरकारें व्यथित रहती है, बड़ी रक़में खर्च की जा रही है।‘मिड़ डे मील‘ से बच्चे कम, दूसरे ज़्यादा फ़ायदा उठा रहे है। आज़ादी के 63 र्वष हो चुके, परन्तु साक्षरता दर हम अधिक नही बढ़ा सके। लगता यह है कि दो भारत हैं-एक अमीरों का दूसरा ग़रीबों का। शहरी अमीर बस्तियों में बच्चों को पढ़ाना‘ स्टेटस सिंबल‘ है। शिक्षा-माफ़िया या व्यवसायी‘ क्रेज़‘ पैदा करके दोनो हाथों से धन लूट रहे हैं, दूसरी ओर ग़रीब भारत की जनता पहले भोजन और रोज़गार से जूलमे-शिक्षा तो बाद की चीज़ है। साक्षर वह भी है जो पढ़ना लिखना नहीं जानता बस अगले से हस्ताक्षर तक पहुँच गया हमारे