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Showing posts from December 13, 2008

अब वहां चमन नही श्मशान था.

वो भी था एक आम तूफान की तरह, वो भी तो चमन उजाड़ता चला गया. कुछ अलग था तो बस इतना ही, के इस बार मेरे चमन की बारी थी. भागता रहा मैं बिखरे फुलों के पीछे समेटता रहा मैं एक एक तिनका हर कोशिश नाकाम रही क्यूंकि..... अब वहां चमन नही श्मशान था