मै प्रेम जताने कैसे जाता॥ उस प्रेम गली में कंकड़ रहते॥ हंसते थे मुझको देख वे॥ ब्यंग बाण की बानी कसते॥ वो खड़ी महल के छत पर थी॥ जब मैंने इशारा उसे किया था॥ समझ न पाए वह मुझको ॥ मै उपहार जो भेट किया था॥ मै जब राह को जाने लगता॥ हट जा कुछ यूं कहने लगते..