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Showing posts from June 22, 2010

लो क सं घ र्ष !: अतिवाद की लड़ाई - 1

कुछ दिन पहले ही हम सब दण्डकारण्य घूम कर लौटे हैं, अरुंधती रॉय के साथ, भूमकाल में कॉमरेडों के साथ-साथ घूमते हुए. दण्डकारण्य के ग्राम स्वराज्य को देखते हुए, आउटलुक, समयांतर और फिलहाल, पत्रिकाओं के पन्ने पलटते हुए. भारत सरकार के असुरक्षा की महसूसियत को खारिज होती जा रही थी, जंगलों में चलते हुए, पहाड़ों पर चढ़ते हुए. हमे ऐसा ही लग रहा था कि जमीन पर पेड़ों से टूटकर गिरे सूखे पत्ते हमारे ही पैरों के नीचे दब रहे हैं और उनकी चरमराहट हमारे कानों में किसी संगीत की तरह बज रही है. संगीत, जिसे भारत सरकार और उसकी दलाली करने वाली कार्पोरेट मीडिया भय के रूप में हमारे जेहन में भरते रहने का लगातार प्रयास करती रहती है. इंद्रावती नदी के पार जो “पाकिस्तान” है (पुलिस की भाषा में) वहाँ के किस्से सी.वेनेजा, रुचिरगर्ग और कई पत्रकार पहले भी ला चुके हैं. जब हम आजादी की बात करते हैं तो उसके क्या मायने होते हैं? अरुंधती इस अवधारणा को ही एक वाक्य में ही बताती हैं “वहाँ मुक्ति का मतलब असली आजादी था”, वे उसे छू सकते थे, चख सकते थे, इसका मतलब भारत की स्वतंत्रता से कहीं ज्यादा था. यह नकली आजादी को पेपर्द करने वाला वाक्य

दूरदर्शन को सोखकर रसूखदार हुए रजत

एक टीवी चैनल स्थापित करने में करोडों रुपए लगते हैं और उसे चलाने में और करोड़ों रुपए हर साल। दिल्ली में एक ऐसा टीवी चैनल है जिनके मालिक कश्मीरी गेट के एक अपेक्षाकृत गरीब परिवार में पैदा हुए थे. वे जिस घर में पैदा हुए थे उसमें एक कमरे में दर्जनों लोग सोते थे। लेकिन आज वही आदमी एक न्यूज चैनल का मालिक है. बात इंडिया टीवी के मालिक रजत शर्मा की हो रही है। रजत शर्मा को जिंदगी में पत्रकारिता का ब्रेक जल्दी मिला। वे प्रभु चावला के अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और दिल्ली विश्वविद्यालय के जमाने के साथी हैं और भले ही प्रभु चावला जैसा होने का इल्जाम उन पर नहीं लगाया जाता लेकिन साइकिल से आधुनिकम कारों और एक, भूत- प्रेत दिखाकर ही सही, सफल होने वाले टीवी चैनल की सफलता की कहानी के पीछे की कहानी आपको बतानी है। साल था सन 2000। सरकार अटल बिहारी वाजपेयी की थी और सूचना और प्रसारण मंत्री देश के जाने माने वकील और भाजपा के सबसे ताकतवर नेताओं में से एक अरुण जेटली हुआ करते थे। रजत शर्मा जिन्होंने प्रेस इंन्फॉरमेशन ब्यूरो का कार्ड लेने के लिए ग्वालियर के एक अखबार दैनिक स्वदेश से फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र लिया थ