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Showing posts from February 20, 2009

मेरे शहर का एक आदमी..............!!

मेरे शहर का एक आदमी.............!! ..........कब,क्या,क्यूँ,कैसे.........और किस परिणाम की प्राप्ति के लिए होता है......ये किसी को भी नहीं पता.......!!हर कदम पर कईयों भविष्यवक्ता मिलते हैं.....लेकिन अगर आदमी भविष्य को पढ़ ही पाता....तो दुनिया बेरंग ही हो जाती.....!!अभी-अभी हम घर से कहीं जा रहे हों.........और अचानक कहीं किसी भी वक्त हमारे जीवन के सफर का अंत ही हो जाए....!!अभी-अभी हम जिससे मिलकर आ रहे हों........घर पहुँचते ही सूचना मिले कि वो शख्स अभी दस मिनट पहले दुनिया से कूच कर गया........!!हमें कैसा लगे....??हमारे मर जाने की सूचना पर किसी और को कैसा लगे....?? जीवन कैसा है.....जीवन कितना है....जीवक कब तक है....ऐसे प्रश्न तो सबके ही मन में पता नहीं कितनी ही बार उमड़ -घुमड़ करते ही रहते हैं.........मगर जवाब....वो तो सबके ही लिए हर बार ही नदारद होता है.....जीवन को ना जाने कितनी ही उपमाओं से लादा गया है.........मगर इसकी गहराई की थाह भला कौन नाप पाया.........??चलते-फिरते अचानक ही हम पाते हैं की फलां तो चला गया....!!.......हमारे मन में भला कहाँ आता

आओं ढूंढे छत्तीसगढी लोक संगीत का चोर .....

अभी मैंने न्यूज़ चैनलों में नई फिल्म "दिल्ली ६ " की बहुत सी तारीफ सुनी शीर्षस्थ लोगो ने , जिन्होंने फ़िल्म को १० न देते हुए सरलता सादगी और न जाने बहुत से भारी भरकम शब्दों से पुष्पंम सम्र्परप्यानी करते हुए तारीफों के पुल बान्ध डाले किसी ने यहाँ यह भी कहा कि हर इन्सान में एक अच्छाई जरूर होती है उस अच्छाई को ही फ़िल्म में दिखाने प्रयास किया गया है , उसे पहचान के उसे निखारना चाहिए वगैरा ... वगैरा .. पर मै इन सब में नही पड्ना चाह्ता हो सकता है की फ़िल्म अच्छी भी हो तारीफ़ के काबिल भी को पर मै आज सारे छत्तीसगढ़ की और से उनसे यही पूछना चाह्ता हुं की "दिल्ली ६ " में एक संगीत सुनने मिल रहा है वह कहा से है संगीत :- सास गारी देथे ननद गारी देथे , करार गौदा फुल .......... अगर उनके पास जवाब हो तो मुझे जरूर बताये , वो छत्तीसगढी भाषा में है इससे तो इंकार नही किय जा सकता इसका मतलब साफ है की वो छत्तीसगढ़ के लोक संगीत से लिया गया है, तो कहो हा की यह छत्तीसगढी लोकसंगीत से लिया गया है इसमे हर्ज क्या है सीधे-साधे बेचारे छत्तीसगढी उस गाने की सफ़लता में हिस्सा नही मांग रहे वो तो बस ये कह रह

लोकसभ चुनाव उमीद्दवार - ब्लाग से

लोकसभ चुनाव के नजदीक आते ही आए दिन मीडिया के हवाले से नए चेहरों कि चुनावी मैदानों में उतरने कि पुष्टि हो रही ही है फ़िर वो फ़िल्म जगत से संजय द्त्त हो या फ़िर क्रिकेट से बाहर का रास्ता दिखाए हुए अजहर ऊद्दीन लेकिन मेरी परेशानी कुछ और है ओँर यह है कि कही कल मुझे उसी मीडिया के हवाले से दो और नए चेहरे यशवंत जी http://bhadas4media.com/ और पुण्य प्रसून बाजपेयी जी http://prasunbajpai.itzmyblog.com/ चुनावी समर में उतरने वाले है की खबर लगे तो मुझे आश्चर्य नही होना चाहिए। क्या हुआ आप चोंक क्यो रहे है अच्छा आपको नही पता कि ये कोंन है चलो हम बता देते है कि एक है यशवंत जी [ जिन्होंने मीडिया ४ भड़ास के माध्यम से मीडिया की गंदगी दूर करने का बीडा उठा रखा है ] और दुसरे श्री बाजपेयी जी जिन्हें आपने राष्ट्रीय न्यूज़ चनेलो में देखा होगा [ जिन्होंने न्यूज़ में रहते हुए समज को बदलने का बीडा उठाया है ] तो अब आप दोनों श्रीयुत को पहचान ही गए होगे हां मै इन्ही उपरोक्त श्रीयुत कि बात कर रहा हुं मै भी इन्हे व्यक्तिगत तौर पे तो नही जानता महज ब्लाग से ही परिचय और पहचान है । पर देखे तो आप और मै तो देश के अन्य नेताओ क

शीर्ष पांच मे प्रथम स्थान हासिल करने वाली कविता

विनय जी की कविता-आम आदमी प्रतियोगि ता के अंतर्गत हम जो दूसरी कविता प्रकाशित कर रहे है वो है श्री विनय बिहारी सिंह जी की,यह हिन्दुस्तान का दर्द ब्लॉग के सक्रिय लेखक है ,इनके लेख अधिकतर धर्म से जुड़े होते है जिन्हें पसंद करने वालों की संख्या बहुत अधिक है !! इनकी कविता आम आदमी ने शीर्ष पाँच कविताओं में प्रथम स्थान बनाया है !तो विनय जी आपको हार्दिक बधाई और सभी पाठकों से आग्रह है की इस कविता पर अपनी राय देकर समीक्षा करें!! इस कविता को पड़ने के लिए देखें :- आगे पढ़ें के आगे यहाँ .gulabinajm.blogspot.com

फूल

चाहे मन्दिर में माला पहनाओ चाहे मस्जिद में चादर चढाओ नहीं दिखता मुझमें कोई भरम मैं फूल हूँ नहीं देखता जात और धरम गर हो तुम्हारे घर शादी या किसी के यहाँ मातम चाहे खुशिओं में सजाओ चाहे मइयत पर चढाओ मैं फूल हूँ मुझमें है संयम रब की चाहत मुझसे खुशी का इजहार मुझसे दोस्ती की फरमाइश मुझसे दिलों का इकरार मुझसे मैं फूल हूँ मुझमे हैं कई रंग दिलों के खेल का हथियार हूँ मैं रूठने मनाने का आधार हूँ मैं न इर्ष्या न जलन सिर्फ़ सादगी है मुझमे इसीलिए गम का भी इलाज हूँ मैं मैं इसी में खुश हूँ मैं फूल हूँ, मैं फूल हूँ, मैं फूल हूँ॥ ज्ञानेंद्र rastey2manzil।blogspot।com