मेरे शहर का एक आदमी.............!! ..........कब,क्या,क्यूँ,कैसे.........और किस परिणाम की प्राप्ति के लिए होता है......ये किसी को भी नहीं पता.......!!हर कदम पर कईयों भविष्यवक्ता मिलते हैं.....लेकिन अगर आदमी भविष्य को पढ़ ही पाता....तो दुनिया बेरंग ही हो जाती.....!!अभी-अभी हम घर से कहीं जा रहे हों.........और अचानक कहीं किसी भी वक्त हमारे जीवन के सफर का अंत ही हो जाए....!!अभी-अभी हम जिससे मिलकर आ रहे हों........घर पहुँचते ही सूचना मिले कि वो शख्स अभी दस मिनट पहले दुनिया से कूच कर गया........!!हमें कैसा लगे....??हमारे मर जाने की सूचना पर किसी और को कैसा लगे....?? जीवन कैसा है.....जीवन कितना है....जीवक कब तक है....ऐसे प्रश्न तो सबके ही मन में पता नहीं कितनी ही बार उमड़ -घुमड़ करते ही रहते हैं.........मगर जवाब....वो तो सबके ही लिए हर बार ही नदारद होता है.....जीवन को ना जाने कितनी ही उपमाओं से लादा गया है.........मगर इसकी गहराई की थाह भला कौन नाप पाया.........??चलते-फिरते अचानक ही हम पाते हैं की फलां तो चला गया....!!.......हमारे मन में भला कहाँ आता