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Showing posts from March 2, 2009

हर एक मिनट में पूरी दुनिया में 5 लोगों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ रहा है

न्यू यॉर्क : मंदी में जॉब छूटने की तादाद कितनी तेजी से बढ़ रह रही है इसका अंदाजा इस बात से लगया जा सकता है कि हर एक मिनट में पूरी दुनिया में 5 लोगों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ रहा है। एक अनुमान के मुताबिक, 2009 के पहले दो महीनों में तकरीबन 4 लाख लोगों को निकाल जा चुका है। कुछ कंपनियों इसे सीधे-सीधे छंटनी और बर्खास्तगी बता रही हैं, तो कुछ इसे राइट साइजिंग और वॉलेंट्री सेपरेशन पैकेज का नाम दे रही हैं। ग्लोबल आर्थिक मंदी ने कंपनियों को खर्चं घटाने के लिए ऐसे उपाय पर मजबूर कर दिया है। अनुमान है कि 2008 में दुनिया भर की कंपनियों ने 1 करोड़ लोगों को बाहर का रास्ता दिखा दिया। हालांकि इन कदमों से भी मंदी का असर कम होता नहीं दिखाई पड़ रहा है। साथ ही खर्च कम करने के लिए कंपनियां और उपाय करने में जुटी हैं। हालांकि एंप्लॉयी के लिए राहत की बात यह है कि 2009 जनवरी में अब तक जितने

हिंदी टीवी चैनलों का झूठ !

सख्त अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है कि भारत के टी वी चैनल (एनडीटीवी इंडिया को छोड़ कर), समाचार के नाम पर झूठ परोसने में सा री सीमाएं लांघते जा रहे हैं। ख़ास कर हिंदी टी वी चैनल। मुंबई की बारिश की ख़बरें सनसनीखेज़ बनाने के चक्कर में इन हिंदी चैनलों ने झूठी खबरों और तस्वीरों के जरिये मुंबई और बाक़ी जगहों में घबराहट फैला दी है। कुछ उदाहरण इन झूटी ख़बरों और तस्वीरों के- ! 1. मंगलवार की शाम “सहारा समय” ने मुंबई के उपनगर गोरेगांव की ख़बर दी और कहा कि वहां सड़कों पर 2-3 फुट पानी भर गया था। इस खबर के साथ तस्वीर दिखायी जा रही थी वहां से क़रीब 30 किलोमीटर दूर के इलाके, मरीन ड्राइव के समुद्री किनारे की जहां समंदर की ऊंची लहरें सड़क पर बौछार के रूप में गिर रही थीं। 2. “टाइम्स नाउ” ने भी उसी दिन दोपहर में मुंबई के लोअर परेल इलाके की सड़कों के वीडियो दिखाये। उस इलाके में पानी भरा हुआ था और वहां चल रहे ऑटोरिक्शा क़रीब आधा फुट पानी में डूबे हुए थे। मुंबई से परिचित कोई भी व्यक्ति जानता है कि लोअर परेल में ऑटोरिक्शा नहीं चलते, सिर्फ़ टैक्सियां चलती हैं। ऑटोरिक्शा सिर्फ़ उपनगरों में चलते और लोअर परेल उपनगर में नहीं शहर