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Showing posts from April 4, 2009

कौमार्य बेचा, रात गुजारी अब पछतावा..

प ढ़ाई को अपनी मंजिल तक पहुंचाने के लिए विदेशों में लड़कियां अब किसी भी हद तक जाने से गुरेज नहीं कर रही हैं। और अब लड़कियां अपनी वर्जानिटी (कौमार्य) को भी मजह चंद पैसों में बेच दे रही हैं। कौमार्य बेचने की घटना विदेशों में बढ़ती ही जा रही है। पढ़ाई के लिए कौमार्य बेचने की ढ़ेर सारी घटनाएं सामने आई हैं, जिसे देखकर यही लगता है कि विदेशों में पढ़ाई के लिए युवा किस गलत राह पर जा रहे हैं। चंद रूपयों की खातिर लड़कियां न सिर्फ अपना देह बेच रही हैं बल्कि उनका खुलेआम प्रचार भी कर रही हैं। सबसे बड़ी बात है कि इस गलत तरीके के खिलाफ अभी तक किसी सामाजिक संगठन ने हस्तक्षेप नहीं किया है। आइए डालते हैं लड़कियों के कौमार्य बेचने की घटनाओं पर एक नजर. .. रोजी ने 6 लाख में बेच दिया कौमार्य.. लंदन में पढ़ाई की खातिर 18 साल की रोजी ने अपनी वर्जीनिटी को सिर्फ 6 लाख में बेच दिया। रोजी ने अपने कौमार्य को बेचने के लिए बाकायदा नेट पर नीलामी करवाई थी, जिसमें बड़ी संख्या में लोगों ने हिस्सा लिया। एक 40 साल के इंजीनियर ने रोजी के कौमार्य को 8400 पाउंड(6 लाख रूपए) में खरीद लिया। जिसके बाद रोजी ने एक होटल में उस इं

पवित्र काबा के बारे में दुर्लभ जानकारी - डोन्ट मिस इट !

पवित्र काबा के बारे में कुछ महत्वपूर्ण एवं दुर्लभ जानकारी यहाँ पोस्ट कर रहा हूँ| आशा है आप सबको मुसलमान के सबसे पवित्र धर्मस्थल के बारे यह जानकारी अवश्य अच्छी लगेगी!   काबा के बनने का प्रारंभ हज़रत इब्राहीम (ईश्वर की उन पर शांति हो) के द्वारा ईश्वर के पवित्र सन्देश एवं आदेश पर हुआ था | यह साउदी अरब के मक्का शहर में है| मक्का अल्लाह का घर है|  काबा काले रंग की चादर से लिपटा हुआ है , इस काले रंग के चादर को 'किस्वा' कहते हैं | 'किस्वा' को हर साल नया बनवा कर बदल दिया जाता है| मक्का की एक विशेष फैक्ट्री ही इसको डिज़ाइन करती है और बनाती है | इसकी क़ीमत लगभग SAR 17 मिलियन (यानि लगभग 221 मिलियन भारतीय मुद्रा) होती है | इसका कुल वज़न 670 किलोग्राम होता है और यह काले रंग का सिल्वर डाईड कपडा होता है | कपडे पर कुरान की आयतें (श्लोक) लिखीं हुईं हैं जिनके लिखने में 120 किलोग्राम शुद्ध सोने और 50 किलोग्राम शुद्ध चाँदी का इस्तेमाल होता है | कपडे का कुल क्षेत्रफल 658 वर्ग मीटर होता है|   काबा से सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण व दुर्लभ तस्वीरें मैं जोड़ रहा हूँ| यह तस्वीरें ही अपने आप में क
गीत आचार्य संजीव 'सलिल' संकट में, हिम्मत मत हार। कोशिश का खुला रहे द्वार.... शूल बीन फूल नित बिखेर। हो न दीन, कर नहीं अबेर। तम को कर सूरज बन पार.... माटी की महक नहीं भूल। सर न चढ़े पैर दबी धुल। मारों पर न करना तू वार... कल को दे कल से अब जोड़। नातों को पल में मत तोड़। कलकल कर बहे 'सलिल'-धार... ************ कलकल कर बहे 'सलिल'-धार...

कहीं यह रिसर्च चाकलेट का प्रचार तो नहीं

विनय बिहारी सिंह लंदन से एक रिपोर्ट आई है। वहां के नार्थम्ब्रिया यूनिवर्सिटी के डेविड केनेडी ने शोध किया है कि चाकलेट खाने वालों का दिमाग तेज होता है। कैसे? चाकलेट में फ्लैवोनाल्स और पालीफिनाल्स रसायनों के तत्व पाए जाते हैं। इन रसायनों से दिमाग में खून का बहाव बढ़ जाता है और व्यक्ति की दिमागी क्षमता बढ़ जाती है। इसे ३० वालंटियरों पर आजमाया भी गया है। जो लोग अपना मनपसंद चाकलेट खा चुके थे वे चाकलेट न खाने वालों की तुलना में जल्दी से गणित के सवाल हल कर देते थे। तो कहा गया है कि अगर आप सुस्त महसूस कर रहे हैं तो या आपका बच्चा सुस्त है तो उसे चाकलेट खिलाएं। उसका दिमाग तेज हो जाएगा। कहीं यह रिसर्च चाकलेट का प्रचार तो नहीं है? यह रिसर्च हमारे यहां भी लगभग सभी अखबारों में आ चुका है। भारत में कितने प्रतिशत लोग या बच्चे बड़ी कंपनियों के चाकलेट खाते हैं? जिस देश में आजादी के ६० साल बाद भी शुद्ध पीने का पानी न हो, जहां के लोग सामान्य आवश्यक आवश्यकताओं के लिए भी एंड़िया घिस रहे हों, वहां चाकलेट की जै जै क्या शर्मनाक नहीं है। इसके अलावा एक और खबर है। दिल्ली में एक शराब की बोतल लांच की गई है। मैं इसे

हिन्दुस्तानी हो करके शरमाते है हिन्दी से /

हिन्दुस्तानी हो करके शरमाते है हिन्दी से / नेता देते इंग्लिश में भाषण मैडम शर्माती बिंदी से// मैडम शर्माती बिंदी से बच्चो को अम्रीका में पढ़वाती/ हिन्दी का तो शव्द भूल गई चिट्ठी नौकर से बच्वाती// जितने नेता अफसर है अंग्रेजी में बतियाते है/ कोई घबराते हिन्दी से तो कोई घबराते शिन्धी से// हिन्दुस्तानी हो करके शरमाते है हिन्दी से / मंत्री जी भाषण जब अंग्रेजी के हवाले/ हिन्दी को तौहीन समझते जो उपजी बड़े घराने// हर दफ्तर में अंग्रेजी की चलती धड-धड भाषा/ जो अंग्रेजी नही बोले जाने चपराशी की नही आषा// इनको तो अब डालर चखिए घबराते है खिन्नी से/ हिन्दुस्तानी हो करके शरमाते है हिन्दी से / हिन्दी दिवस पे नेता कहते हिन्दी का उत्थान करो/ हम भारत के रहने वाले साडी जनता साथ चलो// मेरे भारत की यही बिडम्बना धुप छाव जो सआती है/ हम उस देश के वाशी है जिस देश में गंगा बहती है// जहर समझ परसाद न लेते शरमाते है सिन्नी से// हिन्दुस्तानी हो करके शरमाते है हिन्दी से /

सबसे जुड़कर क्यूँ रहता हूँ.....!!

तनहा-तनहा जलता रहता हूँ पर किसी का मैं क्या लेता हूँ !! मुझमें तो हर कोई शामिल है सबकी बातें कहता रहता हूँ !! सबके गम तो मेरे मेरे गम हैं सबके दुखडे सुनता रहता हूँ !! सबमें खुद को शामिल करके और सब खुद ही हो जाता हूँ !! सबका दुखः मैं रोता रहता हूँ अन्दर-अन्दर बहता रहता हूँ !! सबको बेशक कुछ मुश्किल है मुश्किल का मैं हल कहता हूँ !! मुझमें कौन बैठा है "गाफिल" सबसे जुड़कर क्यूँ रहता हूँ !!