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Showing posts from December 19, 2010
राष्ट्रीय बाल अधिकार दिवस की बानगी देखिये आज सुबह सवेरे ट्रेन में मेने अखबार खरीदा तो अख़बार की एक हेडिंग थी के आज राष्ट्रिय बाल अधिकार दिवस हे में अख़बार आगे पढ़ता के पता चला कोटा स्टेशन आ गया मेने अख़बार फोल्ड किया और ट्रेन से अपने कोटा स्टेशन पर उतर गया । में देखता हूँ स्टेशन पर एक लावारिस सा दिखने वाला लडका जो लोगों के कुरते पकड़ कर भीख मांग रहा था , में आगे बढा तो एक ६ साल का बच्चा चाय गर्म चाय गर्म चिल्ला रहा था आगे देखा तो एक पोस्टर सरकार की उपलब्धियों का छपा था जिसमे मुख्यमंत्री की फोटू के साथ घोषणा थी के राजस्थान के हर बच्चे को सरकारी खर्च पर शिक्षा से जोड़ा जाएगा इसके लियें सरकार राज्य में शिक्षा रोज़गार गारंटी पर करोड़ों रूपये खर्च कर रही हे मेरी पोस्टर से नजर हटी के देखता हूँ के एक बच्चा खेल दिखने को आतुर हे तो दूसरा बच्चा ब्रुश और पोलिश लिए पोलिश पोलिश चिल्ला रहा हे आगे चलता हूँ तो एक बच्चा सर्दी से ठिठुरता हुआ कम्बल की तलाश में भटक रहा हे । स्टेशन के बाहर ही एक पटाखे बनाने की खतरनाक फेक्ट्री हे तो इस फेक्ट्री में कई छोटे बच्चे बारूद के ढेर पर बेठ कर
फुल मुस्कुरा रहा हे ..... यह फुल जो तेरे नाज़ुक खुबसूरत से हाथों में मुस्कुरा रहा हे अपनी इस खुशनुमा किस्मत पर इतरा रहा हे इसे मेने थोड़ी देर पहले नीचे जमीन पर उदास पढ़ा हुआ आंसू बहाते भी देखा हे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

प्यारी सी दुआ

जिंदगी तो उसने खबसुरत  दी थी , जीना हमे आया ही नहीं ! खुशिया तो उसने हजारो दी थी , गमो से उभरना  हमे आया ही नहीं ! खुशनुमा पल उसने बेपन्हा दिए थे , वक़्त से लम्हे चुराना हमे आया ही नहीं ! प्यार तो उसने हमे बेहद किया था , हमे प्यार निभाना आया ही नहीं ! सोचते  तो थे की अब संभल जायेंगे , वक़्त ने तो पलटना कभी जाना ही नहीं ! अब तो  फकत फ़रियाद ही ये करते हैं , उसके गुलशन मै बाहर भर दे तू ! न इस कदर गुनाह करेंगे  कभी , इस बार तो खुदाया  माफ़ कर दे तू !