1959 में जब क्यूबा में सशस्त्र संघर्ष द्वारा बटिस्टा की सरकार को अपदस्थ करके फिदेल कास्त्रो, चे ग्वेवारा और उनके क्रान्तिकारी साथियों ने क्यूबा की जनता को पूँजीवादी गुलामी और शोषण से आजाद कराया तो उसके बाद मार्च 1960 में माक्र्सवाद के दो महान विचारक और न्यूयार्क से निकलने वाली माक्र्सवादी विचार की प्रमुखतम् पत्रिकाओं में से एक के संपादकद्वय पॉल स्वीजी और लिओ ह्यूबरमेन तीन हफ्ते की यात्रा पर क्यूबा गए थे। अपने अध्ययन, विश्लेषण और अनुभवों पर उनकी लिखी किताब ’क्यूबाः एनाटाॅमी आॅफ ए रिवाॅल्यूशन’ को वक्त के महत्त्व के नजरिये से पत्रकारिता, और गहरी तीक्ष्ण दृष्टि के लिए अकादमिकता के संयोग का बेहतरीन नमूना माना जाता है। आज भी क्यूबा को, वहाँ के लोगों, वहाँ की क्रान्ति और हालातों को समझने का यह एक ऐतिहासिक दस्तावेज है। बहरहाल, अपनी क्यूबा यात्रा की वजह से उन्हें अमेरिकी सरकार और गुप्तचर एजेंसियों के हाथों प्रताड़ित होना पड़ा था। ऐसे ही मौके पर दिए गए एक भाषण के कारण 7 मई 1963 को उन्हें अमेरिका विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने और क्यूबा की अवैध यात्रा करने और कास्त्रो सरकार के प्रो