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Showing posts from June 5, 2010

लो क सं घ र्ष !: नये मनुष्य, नये समाज के निर्माण की कार्यशाला: क्यूबा-4

क्यूबा का इंकलाबः एक अलग मामला क्यूबा की क्रान्ति न रूस जैसी थी न चीन जैसी। वहाँ क्रान्तिकारी कम्युनिस्ट पार्टियाँ पहले से क्रान्ति के लिए प्रयासरत थीं और उन्होंने निर्णायक क्षणों में विवेक सम्मत निर्णय लेकर इतिहास गढ़ा। उनसे अलग, क्यूबा में जो क्रान्ति हुई, उसे क्यूबा की कम्युनिस्ट पार्टी का भी समर्थन या अनुमोदन हासिल नहीं था। उस वक्त क्यूबा की कम्युनिस्ट पार्टी फिदेल के गुरिल्ला युद्ध का समर्थन नहीं करती थी बल्कि बटिस्टा सरकार के ऊपर दबाव डालकर ही कुछ हक अधिकार हासिल करने में यकीन करती थी। लेकिन वक्त के साथ न केवल फिदेल ने क्यूबाई इंकलाब को सिर्फ एक देश के इंकलाब से बाहर निकालकर उसे एक अंतर्राष्ट्रीय कम्युनिस्ट आंदोलन की अहम तारीख बनाया बल्कि अंतर्राष्ट्रीय कम्युनिस्ट बिरादरी ने भी क्यूबा के इंकलाब को साम्राज्यवाद से बचाये रखने में हर मुमकिन भूमिका निभाई। चे ग्वेवारा का प्रसिद्ध लेख ’क्यूबाः एक्सेप्शनल केस?’ क्यूबा की क्रान्ति की अन्य खासियतों पर और समाजवाद की प्रक्रियाओं पर विलक्षण रोशनी डालता है। करिष्मा दर करिश्मा जनता की ताकत से 1961 की 1 जनवरी को 1 लाख हाई स्कूल पास लोगों क

विश्व पर्यावरण दिवसः भारत की तस्वीर

Bhaskar.Com First Published 13:40 PM [IST](05/06/2010) Last Updated 2:49 PM [IST](05/06/2010) आज (5 जून) विश्व पर्यावरण दिवस है, पूरा विश्व जहां पर पर्यावरण को बचाने की खातिर सक्रिय होता दिख रहा है वहीं हमारे देश की कुछ ऐसी तस्वीरें बन रही हैं...

लो क सं घ र्ष !: सपने देखना और सपने बुनना.......

सपने देखना और सपने बुनना , हमे भी आता है प्रजापति .. सिर्फ तुम्हे नहीं . फूटपाथ पर होने का अर्थ ये नहीं है न्याय कई देवता , की हमे सपने नही आते . सपने देखना सिर्फ तुम्हारी मिलकियत नहीं . तिजोरियो के स्वामी . हमे भी हासिल है हक़ . की सपने देखू बेहतर दुनिया और बेहतर मनुष्य होने के सपने . उजाडो तुम बार - बार / उजाडो मेरे सपनों के घोश्लो को कभी प्रदूषण निवारण के नाम पर कभी सहर की खूबसूरती के नाम पर . कभी न्याय के देवताओ के हुक्म पर कभी विकाश की गंगा बहाने के बहाने सत्ता , शासन और तिजोरी का मिलन पर्व भले ही मनाया जा रहा हो पूरी दुनिया में . भले ही दुनिया का सबसे बड़ा हैवान . सभ्यताओ का पाठ पढ़ा रहा हो हमे . हमे सपने देखने और सपने बुनने से नहीं रोक सकता वो कयू की मेरा सपना सिर्फ अपना सपना नहीं है . पूरी कायनात का है मेरा सपना मनुष्यता की हिफाज़त में ........... -सुनील दत्ता