क्यूबा का इंकलाबः एक अलग मामला क्यूबा की क्रान्ति न रूस जैसी थी न चीन जैसी। वहाँ क्रान्तिकारी कम्युनिस्ट पार्टियाँ पहले से क्रान्ति के लिए प्रयासरत थीं और उन्होंने निर्णायक क्षणों में विवेक सम्मत निर्णय लेकर इतिहास गढ़ा। उनसे अलग, क्यूबा में जो क्रान्ति हुई, उसे क्यूबा की कम्युनिस्ट पार्टी का भी समर्थन या अनुमोदन हासिल नहीं था। उस वक्त क्यूबा की कम्युनिस्ट पार्टी फिदेल के गुरिल्ला युद्ध का समर्थन नहीं करती थी बल्कि बटिस्टा सरकार के ऊपर दबाव डालकर ही कुछ हक अधिकार हासिल करने में यकीन करती थी। लेकिन वक्त के साथ न केवल फिदेल ने क्यूबाई इंकलाब को सिर्फ एक देश के इंकलाब से बाहर निकालकर उसे एक अंतर्राष्ट्रीय कम्युनिस्ट आंदोलन की अहम तारीख बनाया बल्कि अंतर्राष्ट्रीय कम्युनिस्ट बिरादरी ने भी क्यूबा के इंकलाब को साम्राज्यवाद से बचाये रखने में हर मुमकिन भूमिका निभाई। चे ग्वेवारा का प्रसिद्ध लेख ’क्यूबाः एक्सेप्शनल केस?’ क्यूबा की क्रान्ति की अन्य खासियतों पर और समाजवाद की प्रक्रियाओं पर विलक्षण रोशनी डालता है। करिष्मा दर करिश्मा जनता की ताकत से 1961 की 1 जनवरी को 1 लाख हाई स्कूल पास लोगों क