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Showing posts from January 26, 2009

रोया हूँ बहुत...

रोया हूँ बहुत तब जरा करार मिला है इस जहाँ से किसे सच्चा प्यार मिला है? गुज़र रही है जिंदगानी इम्तेहान के दौर से, एक ख़तम हुआ तो दूसरा तैयार मिला है मेरे दामन को खुशियों का नही है मलाल, गम का खजाना इसे बेसुमार मिला है वो कमनसीब हें जिन्हें महबूब मिल गया, मैं खुशनसीब हूँ मुझको इंतज़ार मिला है गम नही है मुझको दुश्मन हुआ ज़माना, जब दोस्त लिए हाथों में तलवार मिला है सब कुछ खुदा ने तुमको कैसे दे दिया? मुझे तो उसके दर से इंतजार मिला है

''आर पी भटनागर''बने हिन्दुस्तानी की आवाज़ और जीते 5000 रुपए

''हिन्दुस्तानी की आवाज़'' प्रतियोगिता मे भाग लेने वाले,पाठकों और लेखकों सहित सभी देशवासियों को इस पवन पर्व की शुभकामनाएं!हम उन लेखकों का बहुत-बहुत शुक्रिया अदा करना चाहेंगे जिन्होंने इस प्रतियोगिता मे भाग लेकर इसे सफल बनाया,इसे हम पूर्म सफलता तो नहीं कह सकते पर प्रयास किया था हमने जो कुछ हद तक पूरा भी हुआ है ! आज हम हाजिर है आपके सामने''हिन्दुस्तानी की आवाज़'' प्रतियोगिता के परिणामों के साथ!दोस्तों हमें हजारों की संख्या मे तो लेख प्राप्त नहीं हुए,लेकिन हां मुकाबला जरुर रहा !इस मुकाबले के विजेता रहे छतीसगढ़ के ''आर.पी.भटनागर'' जिन्हें जांच कमेटी ने विजेता घोषित किया! ''आर.पी.भटनागर'' जी को हिन्दुस्तान का दर्द ब्लॉग की तरफ से पांच हज़ार रुपए एवं प्रमाण पत्र सहित ससम्मान सम्मानित किया जा रहा है ! इसी प्रयास मे अब हम शीर्ष पांच लेखकों के नाम घोषित कर रहे है जिन्होंने कोई पुरूस्कार तो नहीं जीता पर सबका दिल जरुर जीत लिया ! १.मनोज द्विवेदी २.कुसुमलता मौर्य ३.जगदीश यादव ४.आचार्य महादेवन ५.कशिश श्रीवास्तव सभी लेखकों का हम फिर

गणतंत्र दिवस है आज ..............

........................ कल क्रमिक भूख हड़ताल का ३५ वां दिन था । दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति दफ्तर के बाहरएक छोटे से टेंट में संस्कृत के छात्र धरने पर बैठे थे । उपवास कर रहे दो लोगो ही हालत कुछ ठीक नही थी । हम पहुंचे तो थे उनका साथ देने, होसला बढ़ाने , लकिन वहां की परिस्थितियों ने अन्दर से झकझोर दिया । आज के समय में गांधीगिरी कर रहे इन युवा छात्रों-छात्राओं की बात सुनने वाला कोई नही था । महिना बीत गया धरना प्रदर्शन और उपवास करते -करते विश्वविद्यालय प्रशासन की छोडिये छात्र संघ का कोई अधिकारी भी नही आया । बात-चित में हड़ताल का नतृत्व कर रही किरण ने बताया तीन-चार बार बुलाने पर भी डूसु अध्यक्ष नुपुर शर्मा या अन्य कोई नही आया। वाह रे गणतंत्र ! २६ जनवरी आने ही वाला है । देश भर में तिरंगा फहराएगा , देश को उचाईयों पर ले जाने के लोकलुभावन वादे होंगे ...........पर हकीक़त सबके सामने है............. दिल्ली इस दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की राजधानी में छात्र हितों की अनदेखी हो रही है । इससे तो अच्छा है किजामिया के तर्ज पर दिल्ली विश्विद्यालय भी चुनाव पर पाबन्दी लगा दे । अरे, जब छात्र संघ के लोग भ

स्लम-डॉग की वाह....वाह.....!!

स्लम डॉग बेशक एक सच है....मगर इस सो कॉल्ड डॉग को इस स्लम से निकालना उससे भी बड़ा कर्तव्य आपके ख़ुद के बच्चे का नाम रावण नामकरण,कंस,पूतना,कुता,बिल्ली आदि क्या कभी आप रखते हो....नाम में ही आप अच्छाई ढूँढ़ते हो.....और हर किसी नई चीज़ या संतान या फैक्ट्री या दूकान या कोई भी चीज़ का नामकरण करते हो....नाम में ही आप शुभ चीज़ें पा लेना चाहते हो......स्लम-डॉग........ये नाम........!!नाम तो अच्छा नहीं है ना .......एक अच्छी चीज़ बनाकर उसका टुच्चा नाम रखने का क्या अर्थ है ....क्या इसका ये भी मतलब नहीं आप भारत की गंदगी ....बेबसी .और लाचारी को भुनाना चाहते हो .......क्या इसे दूर करने का भी उपाय किसी के पास है .....??मैं अक्सर देखता आया हूँ कि यथार्थ का चित्रण करते कई साहित्यकार,फिल्मकार,नाटककार,चित्रकार,या अन्य कोई भी "कार" जिन विन्दम्बनाजनक स्थितियों का कारुणिक चित्रण कर वाहावाही बटोरते हैं....पुरस्कार पाते हैं,वो असल में कभी उन परिस्थितियों के पास शूटिंग आदि छोड़कर कभी अन्य समय में खुली आंखों से देखने भी जाते हैं......??एक पत्रकार जिन कारुणिक दृश्यों