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Showing posts from July 30, 2010

यही सही: सप्तक

यही सही: सप्तक : "मेरे जीवन में एक बड़ा विस्फोट था बेटी का मेरे जीवन में आना और उससे भी बड़ा उसके काफी अरसे बाद मां-बाबूजी की जीवन में वापसी इस प्रकार खत्म ह..." सारांश यहाँ आगे पढ़ें के आगे यहाँ

My naked pictures are on the internet!

  कभी कभी हमारे सामने कुछ ऐसे सवाल आ जाते है जिनका जवाब देना बहुत ही मुश्किल होता है,क्या इस गंभीर सवाल का कोई जवाब है आपके पास..अगर हाँ तो जवाब के इंतज़ार में??   I am 18 year old student; I sent some naked pictures of mine to some of my boyfriends two years ago. I met up with one guy and we ended up sleeping together. I foolishly let him take pictures of me posing naked. I know this was silly of me but I was young at the time. I have also sent him some of the videos of mine wearing underwear.  They are now on many social networking sites. I have asked him to take them down but he won't as he insists he has a copyright over them. I am so worried that these pictures will leak out and haunt me over the next months or even years. Is there anything I can do to prevent my friends or family or even my boyfriend seeing them?  Firstly do not panic, the situation is not as bad as you think. You must learn from your mistakes. This guy does not have a copyright over these pictures so he

अनुराग कश्‍यप की तीन इंटरनेशनल फेस्टिवल की हैटट्रिक

30 JULY 2010   3 COMMENTS फिल्‍म का ट्रेलर यहां देखें :  that girl in yellow boots मोहल्‍ला पर अनुराग कश्‍यप के प्रशंसकों और आलोचकों के लिए एक खबर है कि उनकी अप्रदर्शित फिल्‍म ‘द गर्ल इन यलो बूट्स’ इस साल वेनिस इंटरनेशनल फिल्‍म फेस्टिवल और टोरंटो इंटरनेशनल फिल्‍म फेस्टिवल के लिए चुनी गयी है। बतौर निर्माता उनकी फिल्‍म ‘उड़ान’ इस साल जून में कान फिल्‍म फेस्टिवल में अधिकृत रूप से चुनी गयी थी। स्‍वतंत्र फिल्‍मकारों के लिए यह प्रेरक खबर है, क्‍योंकि देश में बन रही सात-आठ सौ फिल्‍मों में से चंद फिल्‍में ही इंटरनेशनल फिल्‍म फेस्टिवलों के लिए चुनी जाती हैं। आलोचक पूछ सकते हैं कि विदेशी तमगों से इन फिल्‍मों को क्‍या फायदा होगा? फायदा तो होता है। इंटरनेशनल पहचान से कृति और रचना का भाव बढ़ जाता है। हम भारतीय उसे नए नजरिए से देखने लगते हैं। तमाम फिल्‍मकारों ने ऐसी ही पहचान से सरवाइव किया है और अपनी मर्जी की फिल्‍में बनाते रहे हैं। यहां मैं बता दूं कि  अनुराग कश्‍यप ने ‘उड़ान’, ‘द गर्ल इन यलो बूट्स’ और ‘तुम्‍बड़’ के लिए कारपोरेट कंपनियों से 10 करोड़ रुपयों की मदद मांगी थी। सभी कंपनियां 10 करोड़ तो

लगते सोलहवे साल में यार क्यों बिछड़ते है॥

मेरे घर की छत पर फूल क्यों निकलते है॥ लगते सोलहवे साल में पुष्प क्यों निकलते है॥ अंखिया चकोर बन के ढूढे लागी मोती॥ आश मेरे भाग्य में ये वाली होती॥ मन में विचार मेरे यूं क्यों निकलते है॥ लगते सोलहवे साल में यार क्यों बिछड़ते है॥ सुभ घडी आएगी जब मुलाक़ात होगी॥ ले लूगी आनंद जब वह रात होगी॥ बिना आग के ऐसे दीप क्यों जलते है॥ लगते सोलहवे साल में यार क्यों बिछड़ते है॥ देख के सलोनो को मुह हंस बोले॥ अंखिया से उनकी सुरतिया टटोले॥ मेरी भी चाह में वे भी तड़पते है॥ लगते सोलहवे साल में यार क्यों बिछड़ते है॥

तुम्हे मिलने को दिल ढूढ़ रहा.

क्या दूर गए हमें भूल गए॥ कुम्हलात कमल यूं रो रहा॥ मै धीरज न रख पाऊगी॥ तुम्हे मिलने को ढूढ़ रहा॥ मै धुप जलाना भूल गयी। फूलो से कलियाँ रूठी है॥ तरुवर से पत्ते टूट चुके है॥ क्या जानो क्यों भूखी है॥ कानो की तरंग शांत खड़ी है॥ तेरा दिल क्यों मजबूर रहा॥ मै धीरज न रख पाऊगी॥ तुम्हे मिलने को ढूढ़ रहा॥ जब सोने जाती तुम आ जाते॥ हंस हंस के बात बताते हो॥ नींद खुले नहीं रहते तुम॥ क्यों वापस तुम चले जाते हो॥ मै मिल जाऊ उस सागर में॥ जिस सागर में दिल डूब रहा॥ मै धीरज न रख पाऊगी॥ तुम्हे मिलने को ढूढ़ रहा॥