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Showing posts from December 26, 2009

लो क सं घ र्ष !: राज्य का मुखिया राज्यपाल

संविधान के अनुच्छेद 155 के तहत राष्ट्रपति किसी भी राज्य के कार्यपालिका के प्रमुख राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति अपने हस्ताक्षर और मुद्रा सहित अधिपत्र द्वारा नियुक्त करता है । आन्ध्र प्रदेश के राज्यपाल श्री नारायण दत्त तिवारी के कारनामो को देखने के बाद कार्यपालिका की भी स्तिथि साफ़ होती नजर आ राही है । झारखण्ड के मुख्यमंत्री श्री मधु कोड़ा के भ्रष्टाचार के मामले आने के बाद वहां भी राज्यपाल श्री शिब्ते रजी के ऊपर उंगलियाँ उठी थी । राज्यपाल की भूमिका पर हमेशा प्रश्नचिन्ह लगते रहे हैं । इस पद का इस्तेमाल केंद्र में सत्तारूढ़ दल अपने वयोवृद्ध नेताओं को राज्यपाल नियुक्त कर उनको जीवन पर्यंत जनता के टैक्स से आराम करने की सुविधा देता है । इन राज्यपालों के खर्चे व शानो शौकत राजा रजवाड़ों से भी आगे होती है । लोकतंत्र में जनता से वसूले करों का दुरपयोग नहीं होना चाहिए लेकिन आजादी के बाद से राज्यपाल पद विवादास्पद रहा है । जरूरत इस बात की है कि ईमान

कलम कभी की बिक चुकी है ........!!!!!!!!!!

कलम कभी की बिक चुकी है ....... स्याही उसकी सूख चुकी है ! सत्ता के गलियारों में उसके कागज बिखर चुके है ! कलम कभी की ................! शब्दों के जंजालो में इंसानों के जज्बात्तो का खून कभी का हो चुका है ! कलम कभी की ...............! मदिरा के प्यालो में अब तो कलम की स्याही धुल चुकी है कलम कभी की .....................! कुछ तोहफो के बदले में तारीफों के लेख लिख कर कलम की आजादी अब तो जंजीरों में बंद चुकी है ! कलम कभी की ............... सुनने में तो लगता बुरा है लिखने में भी कष्ट है मुझको सच्चाई पर यही है अब तो ! कलम कभी की ...................! झुठला दे कोई जो इसको उसके पास ही सही कलम है ! वरना इसके आगे अब तो लिखने को कुछ रहा नहीं है ! कलम कभी की बिक चुकी है ! डॉ.मंजू चौधरी manndagar@yahoo.com