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Showing posts from February 7, 2011

मासूमियत या जिम्मेदारी

                                              कितनी मासूमियत है इनके चेहरे मै हर बात से अन्जान जेसे किसी बात  से  कोई  लेना- देना  ही  न हो और कुछ लोग इनकी  मासूमियत को क्यु कैद  करने  की बात कर रहें  हैं ! कैसे  नादाँ  है  ये  लोग जो इन पर अनजाने मै ही जुर्म  ढाने  की बात कर रहें है ! 2 दिन पहले की ही तो ये बात है मेरे एक मित्र ने मुझे बताया की उन्होंने एक समाचार पत्र मै  पड़ा की सरकार एक एसे बिल के बारे मै सोच रही है जो की महिला विकास मंत्रालय के द्वारा पास किया गया है जिसमे 12 साल  के बच्चों को सेक्स की सहमती प्रदान करने की मांग  हो ! जिससे देश मै हो रहें योन अपराधो को रोका जा सके ! मै  सोचती हूँ की जिस महिला ने इस तरह की बात सोची होगी तो क्या उसने अपने बच्चों की तरफ कभी नज़र नहीं डाली होगी की इन सबमें  उनके अपने बच्चे भी आयेंगे ? इस बिल को सभी राज्यों मै लोगों की राय लेने  के लिए भेजा गया लेकिन कहते हैं की जनता ने इसे सिरे से ख़ारिज कर दिया ! सर्वे के मुताबिक 82 % पाठकों   ने इसके खिलाफ राय भी दी ! इस प्रस्ताव को समाज शास्त्रियों और समाजिक   कार्यकर्ताओं का  भी समर्थन हासिल न हो
"प्रकृति हमारी है ही न्यारी" नित नूतन उल्लास से विकसित,      नित जीवन को करे आल्हादित  ,            नित कलियों को कर प्रस्फुटित ,                   लहलहाती बगिया की क्यारी.  प्रकृति     हमारी     है     ही     न्यारी.   ऋतुराज वसंत का हुआ आगमन,        सरसों से लहलहाया आँगन ,                खिला चमन के पुष्पों का मन,                   और खिल गयी धूप भी प्यारी. प्रकृति      हमारी      है      ही     न्यारी. ऋतुओं में परिवर्तन लाती,          कभी रुलाती कभी हंसाती,                 कभी सभी के संग ये गाती,                        परिवर्तन की करो तैयारी, प्रकृति     हमारी     है    ही   न्यारी.   कभी बैसाखी ,तीज ये लाये,         कभी आम से मन भर जाये,                कभी ये जामुन खूब खिलाये,                       होली की अब आयी बारी, प्रकृति    हमारी     है    ही    न्यारी.