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Showing posts from December 9, 2010

पुरस्कार

कोई पुरस्कृत क्यु होता है ? कोई जिंदगी भर बिना इनाम के ही .... इनाम वाला भी  हो जाता है और कुच्छ लोग लगातार ......... नाम - इनाम बटोरते ही रहते हैं तो कुच्छ नाम येसे  भी हैं , जो इनाम की शक्ल  ही बदल देते हैं वे लेते हैं......... तो खबर बनती है ठुकराते हैं...... तो भी खबर बनती है क्युकी जो धूर्त होते हैं ... वो ........बहुत मीठे होते हैं और मीठे फलो मै कीड़े भी जल्दी होते हैं ............... तो बस उनकी मुस्कराहट को तय करने दो .......?. की उनकी मुस्कान कितनी निर्दोष है और फिर वो  मिले तो जानो .....  की उनकी आँखों मै कितनी चमक है ? आखिर मै बस..... मिट्ठा न मिले तो.......... नमकीन से काम चलेगा क्या ? आजकल तो जेबकतरों और उठाई -गीरों को भी इनाम दे दिए जाते हैं ............... तो अब हम केसे तय करे की ........... पुरस्कार केसे दिए जाते हैं ?        

विश्व मानवाधिकार दिवस पर भी कुछ लिखा जाए

विश्व मानवाधिकार दिवस की नोटंकी कल होगी देश भर में विश्व मानवाधिकार दिवस कल दस दिसम्बर को मनाने की नोटंकी की जाएगी इस नोटंकी में देश में कथित रूप से राष्ट्रिय स्तरीय और राज्य स्तरीय कई कार्यक्रम आयोजित कर लाखों रूपये बर्बाद किये जायेंगे लेकिन देश में आज भी मानाधिकार कानून मामले में देश पंगु बना हुआ हे देश में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का गठन वर्ष १९९३ में गठित कर सुप्रीम कोर्ट के जज रंगनाथ मिश्र को इसका अध्यक्ष बनाया गया और इसी के साथ ही राष्ट्रिय मानवाधिकार कानून देश भर में लागू कर दिया गया , रंगनाथ मिश्र ने इस कानून के माध्यम से देश भर में लोगों को न्याय दिलवाया लेकिन फिर सरकार अपने स्तर पर इस आयोग में नियुक्तियां करने लगी और आज देश भर में राष्ट्रिय और राज्य मानवाधिकार आयोग खुद एक सरकारी एजेंसी बन कर रह गये हें आयोग खुद काफी लम्बे वक्त तक खुद की सुख सुविधाओं के लियें लड़ता रहा और फिर जब राजकीय नियुक्तिया इस आयोग में हुई तो आयोग सरकार के खिलाफ कोई भी निर्देश देने से कतराने लगा , राजस्थान में भी मानवाधिकार आयोग हे लेकिन कई ऐसे मामले हें जिनमे सरकार के खिलाफ कोई कार

भारत में परमाणु ऊर्जा की आवश्यकता

फ़्रांस की अरेवा कंपनी द्वारा महाराष्ट्र के जैतपुर में १६५० मेगावाट की दो नाभिकीय रिएक्टर स्थापित किया जायेगा .यह एक अच्छी खबर है .पर्यावरण मंत्रालय ने भी कुछ शर्तों के साथ इसकी स्थापना की इज़ाज़त दे दिया है .भारत को इस वक्त उर्जा की बहुत जरुरत है ,पेट्रोलियम के भण्डार यहाँ पर बहुत ही सीमित है तथा यह अपनी आवश्यकता का ७५ प्रतिशत से अधिक पेट्रोलियम आयात करता है .साथ ही कोयला के भण्डार भी सीमित ही है जो आगे आने वाले ४० -५० वर्षों में समाप्त हो जायेंगे .इस प्रकार भारत के पास बहुत सीमित   विकल्प है जिसमे परमाणु ऊर्जा भी एक महत्वपूर्ण विकल्प के रूप में स्थापित हो सकता है .परमाणु ऊर्जा को स्वेत इंधन कहा जाता है क्योंकि इससे पर्यावरण को नुक्सान नहीं होता है .भारत के पास पनबिजली ,सौर्य उर्जा ,पवन उर्जा का भी विकल्प है और भारत सरकार के अंग उसके विकास के लिए काम भी कर रहे है .दिक्कत की बात यह है की ये सभी स्रोत मिलकर भी ऊर्जा संकट को दूर नहीं कर सकते और इनके विकास की गति भी धीमी है .कोयले के प्रयोग से ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन भी होता है जिससे ग्लोबल वार्मिंग जैसी समस्या