मुझसे ही मंजिल का पता क्यु पूछते हैं सब ? एसा करके बदनाम............... मुझे कर देते हैं सब ! मै तो कोई मंजिल नहीं जो दूर तलख जाउंगी ! राह मै छोड़ कर फिर ......... दूर निकल जाउंगी ! मेरी मंजिल के तो और भी कई राही हैं ! तुम्हें तन्हा फिर ............. कहाँ तलख ले जाउंगी ! मुझसे यु न लिपटो कबसे ये दोहराती हु ! मेरा तो आस्तित्व है वो कहाँ छोड़ पाती हु ! मेरी आगोश मै बस आह ...... के सिवा कुच्छ भी नहीं ! तुम्हारी कोई नहीं मै ............. बस ये जरा ख्याल करो ! और आज ही से ..................... नई मंजिल की राह तलाश करो !