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Showing posts from April 30, 2009

सपनो को दारगाह में अरसे बीते .........

तेरे ग़म के पनाह में अर्से बिते आरजू के गुनाह में अर्से बिते अब तो तन्हाई है पैरहम दिल की सपनों को दारगाह में अर्से बिते कुछ तो बिते हुए वक्त का तकाज़ा है कुछ तो राहों ने शौकया नवाजा है जब से सपनों में तेरा आना छुटा नींद से मुलाक़ात के अर्से बिते बिते हुए लम्हों से शिकवा नहीं मिल जाए थोड़ा चैन ये रवायत नही मेरे टुकडो में अपनी खुशी ढूँढो ज़रा बिखरे इन्हे फुटपाथ पे अर्से बिते .......

~~~~~~~~मिडिया भी है चुप क्यो ?~~~~~~

फिसले भागो ( मंच में ) में इंसान और उसके तरीको पर मैंने लेख लिखा जो की लोगो के दुयारा सराहे गए और जिसने पुरा धान से पडा उसको समझ में भी आया की किस प्रकार इंसान में बदलाब आ रहे है । दोस्तों एक बात जो आप के है आस पास उस पर मिडिया भी है चुप क्यो ? " पहले की बात है बचपन की हम या कोई और मीठा खाना पसंद करते थे और ये सब प्राणियो का गुन है मीठा से प्यार । पर आज कल बच्चे कोई भी हो किसी जाती धर्म का हो वो नमकीन मागता है और टाफी या चाकलेट की जगह मीता ही मागता है "" क्यो ? जैसे भैस पर लगाई जाने वाली सुई से गिद्ध प्रजाती समत हो गयी ( बाद में पता चला ) जैसे उर्वरक से तितलिया गेस समाप्त हो गये ( बाद में पता चला ) कही हर माह पिलाई जाने वाली दवाइयों से ये लच्चन हो रहा हो ( बाद में क्या होगा इसका प्रभाव ) साइड इफेक्ट

अध्यापक ने छात्रा से किया बलात्कार

सुंदरनगर. नेरी स्कूल के एक अध्यापक ने अपने ही स्कूल की छठी कक्षा की 12 वर्षीय छात्रा की इज्जत लूट ली। सोमवार को स्कूल के टीचर धर्मसिंह ने छात्रा को किसी काम के बहाने एक कमरे में बुलाया और बलात्कार किया। छात्रा ने डर के मारे यह बात परिजनों को नहीं नहीं बताई लेकिन अपनी सहपाठी छात्रा को इस प्रकरण के बारे में बताया। सहपाठी छात्रा ने इसकी जारी जानकारी उसके परिजनों को दी। थाना प्रभारी जगदीशचंद हंस ने बताया किपरिजनों की शिकायत पर मामला आगे पढ़ें के आगे यहाँ

Loksangharsha: और जूता चल गया ..

बूट डासन ने बनाया मैंने मजंमू लिख दिया मुल्क में मजंमू न फैला और जूता चल गया। पुरानी कविता

Loksangharsha: समंदर की पहचान है .. |

जिस्म इतने खुले रूह तक संदली हो गई । भाव रस के बिना गायकी पिंगली हो गई । खून से भीगते बेजुबां आंचलों ने कहा - सभ्य इंसान की आत्मा जंगली हो गई ॥ स्वार्थ के सामने भावना व्यर्थ है । स्वार्थ सर्वोच्च है चाहना व्यर्थ है । कलियुगी युग में सब राम ही राम है । एक हनुमान को खोजना व्यर्थ है ॥ पाप है इसलिए पुण्य का मान है । रात है इसलिए दिन का गुण गान है । है तो छोटी बहुत बूँद पर दोस्तों - बूँद है तो समंदर की पहचान है ॥ आस्थाओं को फिर से गगन कीजिये । प्राण - पन से उदय का जतन कीजिये । तृप्ति में लोभी भवरें मगन राम जी - पीर कलियों की फिर से शमन कीजिये ॥ डॉक्टर यशवीर सिंह चंदेल ' राही '

देश तरक्की कब करता है,,

देश तरक्की कब करता है। जब वाडे शासक का पक्का हो॥ दिल में एक उल्लास भरा हो । देश प्रेमी वह सच्चा हो॥ लोभ लालच से दूर रहे। कर्तव्य निष्ठां से काम करे॥ जनता के सुख दुःख में शामिल हो॥ चोर नही न उचक्का हो॥ शान मान मर्यादा का हरदम उसको ख्याल रहे॥ अपने देश के लगो पर उसके प्रति सम्मान रहे॥ सच्चाई के पथ पर चल के ग़लत चलन का ढाल न हो॥ तब उपवन हरे भरे रहेगे। कोयल गीत सुनाएगी॥ खुशिया की रानी चल करके फ़िर उसके घर को आएगी॥ ने इरादा रख करके इंशा नही महान वह हो....

ग़ज़ल

जुस्तुजू खोये हुए की उम्र भर करते रहे चाँद के हमराह हम हर शब् सफर करते रहे रास्तों का इल्म था हमको न सम्तो की ख़बर शहरे न मालूम की चाहत मगर करते रहे हमने ख़ुद से भी छुपाया और सारे शहर को तेरे जाने की ख़बर दीवारों दर करते रहे वोह न आएगा हमे मालूम था उस शाम भी इंतज़ार उसका मगर कुछ सोचकर करते रहे आज आया है हमे भी उन उदानो का ख्याल जिनके तेरे जोमे में बे बालो पर करते रहे \

यही सिखाये हिन्दुस्तान॥

सब को शिक्षा सब को ज्ञान । यही सिखाये हिन्दुस्तान॥ सब को रोज़ी सब को रोज़गार॥ मेरा भारत बड़ा महान... घर घर तक पहुच रही है। हर सरकारी सुविधा॥ हर गावो में हुयी तरक्की । कम हो गई अब दुविधा॥ नई राह की यही मिशाल॥ मेरा भारत बड़ा महान... अब न कोई रहेगा भूखा। न कोई नंघा घूमे॥ सब में नई उमंग चढी है॥ हर फूलो पर भवरे झूले॥ नई तरक्की की आशा का है प्यारा ये देश। आत्म गलानी नही है ज्यादा न है अधिक क्लेश॥ थोड़ा से म्हणत करने से सब की बनती ख़ुद पहचान॥ सब को शिक्षा सब को ज्ञान । यही सिखाये हिन्दुस्तान॥ मेरे देश में साडी खुशिया लोग तरसते आने को॥ आ गए तो दिल नही करता वापस यहाँ से जाने को॥ इस उपवन की प्यारी खुशबू से गमक उठे भारत की शान...... सब को शिक्षा सब को ज्ञान । यही सिखाये हिन्दुस्तान॥