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Showing posts from May 29, 2010

डा श्याम गुप्त का गीत .....

सारांश यहाँ आगे पढ़ें के आगे यहाँ----- गीत-- गुनुगुनाओ आज एसा गीत कोई.... कवि ! गुनुगुनाओ आज. ... . सखि ! गुनगुनाओ आज , एसा गीत कोई । बहने लगे रवि रश्मि से भी, प्रीति की शीतल हवाएं । प्रेम के संगीत सुर को- लगें कंटक गुनगुनाने | द्वेष द्वंद्वों के ह्रदय को - रागिनी के स्वर सुहाएँ. वैर और विद्वेष को , बहाने लगे प्रिय मीत कोई || अहं में जो स्वयं को जकडे हुए | काष्ठवत और लोष्ठ्वत अकड़े खड़े | पिघलकर - नवनीत बन जाएँ सभी | देश के दुश्मन , औ आतंकी यथा- देश द्रोही और द्रोही- राष्ट्र और समाज के ; जोश में भर लगें वे भी गुनगुनाने, राष्ट्र भक्ति के वे - शुच सुन्दर तराने | आज अंतस में बसालें , सुहृद सी ऋजु नीति कोई || वे अकर्मी औ कुकर्मी जन सभी लिप्त हैं जो अनय और अनीति में | अनाचारों का तमस- चहुँ ओर फैला ; छागये घन क्षितिज पर अभिचार के | धुंध फ़ैली , स्वार्थ, कुंठा , भ्रम तथा- अज्ञान की | ज्ञान का इक दीप जल जाए सभी में | सब अनय के भाव , बन जाएँ - विनय की रीति कोई || ----------- हस्त लिखित गीत को पढ़ने के लिए उसके ऊपर क्लिक करें |

लो क सं घ र्ष !: लोकसंघर्ष के उत्तर - २ : दूसरे गांधी की हत्या कब करोगे

प्रिय सुनील दत्त जी आप के सवालों के जवाब दिए जा रहे हैं। एक गाँधी की हत्या आप की मानसिकता के लोगो ने कर दी थी। दूसरे गांधी की हत्या कब करोगे :- • जिस तरह का लेख हिन्दूओं को अपमानित करने के लिए लख़नऊ ब्लॉजगर्स असोसिएशन पर लिखा गया अगरहिन्दू भी उस पर उसी तरह की प्रतिक्रिया करें जैसी मुसलमानों ने सिमोगा में की कई दिनों तक हिंसा फैलाकर वसमाचार पत्रों के कार्यालयों को जलाकर की तो फिर परिणाम स्वारूप मारे गए हिन्दूओं और मुसलामानों के कत्लके लिए क्या लख़नऊ ब्लॉगर्स असोसिएशन जिम्मेवारी लेने को तैयार है? भगवान न करे ऐसी कोई हिंसा हो लेकिन अगर होती है तो फिर इस वात की क्या गारंटी है कि लोकसंघर्ष, विस्फोटकाम उस दंगे के लिए हिन्दूओं व सुरक्षावलों को जिम्मेवार ठहराकर मुसलमानों को अगले दंगे के लिए भड़कानाशुरू कर देंगे? उत्तर : यह आपका मानसिक दिवालियापन है लखनऊ ब्लॉगर अस्सोकोअतिओन में क्या लिखा गया मेरी जानकारी में नहीं है। कम्युनिटी ब्लॉग पर काफी लोग सदस्य होते हैं जिनका इदेन्तिफ़िकतिओन भी नहीं किया जाता है यही हाल आपका भी है। मेरी समझ से आप प्रखर राष्ट्रवाद के प्रणेता सुनील दत्त जी हैं। लेकिन इसका इद

आज इस कहानी के माध्‍यम से एक बार फिर मैं अपने बचपन से मिल आया हूँ ।

आज आपको अपने बचपन में सुनी हुई एक कहानी सुनाता हूं । इस कहानी को सुनकर आप को हँसने से खुद आप भी नहीं रोक पाएंगे ।।      एक बार एक चोर किसी घर में चोरी करने गया । अंधियारी रात का घुप अन्‍धेरा था । चोर ने दीवाल में सेंध लगाई और घर में घुस गया । घर में केवल तीन लोग थे, दो बहुऍं जो अपने-अपने कमरों में सो रही थीं और उनकी सास जो भोजनालय में मिट्टी के चूल्‍हे के पास सो रही थी । चोर ने आहिस्‍ता-आहिस्‍ता पूरा घर छान मारा और थोडे-बहुत सामान इकट्ठा कर लिये । अब वो बाहर निकलने की तैयारी में था तभी उसने रसोईघर में सूजी रखी देखी । सूजी देख उसे भूख लग आई और उसने सोंचा , भला इस रात के अंधेरे में मुझे कौन देखने आ रहा है । घर के लोग तो गहरी नींद में हैं । बस फिर क्‍या था । वह रसोई में घुस गया । रसोई में घुसते ही उसका सामना सोती हुई बुढिया से हुआ । अपनी चोरी का अनुभव लगाते हुए उसने बडे ही धीरे से बुढिया के नाक के पास हांथ फेरा और गहरी नींद में जानकर लग गया अपने काम में । हलुवा बनाने के सारे सामान उसे थोडे से अन्‍वेषण पर ही मिल गये । उसने चूल्‍हा जलाया और यथोक्‍त विधि से हलुवा बनाया । अब वो हलुवा ठंडा होन
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मंदिरों की कमाई पर कब्जे की फिराक में सरकार

29 May, 2010 16:51;00 निरंजन परिहार महाराष्ट्र सरकार की नजर अब मंदिरों पर है। दो मंदिरों का संचालन करके मलाई काट रही सरकार अब प्रदेश के दो लाख मंदिरों पर नजरें गड़ाए हुए है। अशोक चव्हाण की सरकार ने प्रदेश के तकरीबन दो लाख से भी ज्यादा मंदिरों को अपने कब्जे में लेने के लिए एक व्यापक प्रस्ताव तैयार किया है। सरकार का कहना है कि पब्लिक ट्रस्ट एक्ट के तहत जिन दो लाख मंदिरों का संचालन हो रहा है, उनके संचालन में गड़बड़ी की शिकायतें है। इन मंदिरों के फंड में बडे पैमाने पर भ्रष्टाचार भी हो रहा है। सरकार का कहना है कि उसने इन मंदिरों के संचालन पर नजर रखने के लिए भले ही चैरिटी कमिश्नर की नियुक्ति कर रखी है। लेकिन मंदिरों के भ्रष्टाचार को रोकने में चैरिटी कमिश्नरी भी फेल रही है। इसीलिए सरकार इन मंदिरों का संचालन करने और उनकी निगरानी रखने के लिए एक सरकारी ट्रस्ट का गठन करेगी, जिस पर सीधे सरकार का नियंत्रण होगा। महाराष्ट्र सरकार के इस प्रस्ताव पर बवाल मच गया है। बवाल इसलिए, क्योंकि मामला नीयत का है। सरकार का यह प्रस्ताव, कहीं पे निगाहें - कहीं पे निशाना, जैसा लग रहा है। जो लोग जानकार है, और ऐसे प्रस
हम दिल में बसा के रखे बैठे थे॥ तुम दिल को हमारे तोड़ गए॥ मुझे अकेले छोड़ गए॥ जीवन की लय को मोड़ गए॥ अफसोशहमें है अपने पर॥ किस कारण प्रीतम रूठ गए॥ फूले के थाली में जेवना लगायव॥ मन की उमंगें से पंखी दोलायव॥ क्या स्वाद नहीं था भोजन में॥ जो परसी थाली को छोड़ गए॥ हम दिल में बसा के रखे बैठे थे॥ तुम दिल को हमारे तोड़ गए॥ मुझे अकेले छोड़ गए॥ जीवन की लय को मोड़ गए॥ लाची लवांगी के बीरा लगायव॥ केवडा जल खुश्बो को मिलायव॥ क्या कडुवा लगा था पान॥ जो मुह से उसको थूक चले॥ हम दिल में बसा के रखे बैठे थे॥ तुम दिल को हमारे तोड़ गए॥ मुझे अकेले छोड़ गए॥ जीवन की लय को मोड़ गए॥ चुन-चुन फुलवा से सेजिया सजायव॥ चारो तरफ से पर्दा लगायव॥ क्या खतमत आया बिस्तर पे॥ जो नीचे सोने पर मजबूर हुए॥ हम दिल में बसा के रखे बैठे थे॥ तुम दिल को हमारे तोड़ गए॥ मुझे अकेले छोड़ गए॥ जीवन की लय को मोड़ गए॥

पुदीने वाली चटनी लेके जाना॥

पुदीने वाली चटनी लेके जाना॥ ऊ चटनी मोरी सासू को देना॥ चाखत चटनिया भरय हर्जाना..पुदीने वाली चटनी लेके जाना॥ ऊ चटनी मोरी ननदी को देना॥ चाखत चटनिया लगावे निशाना॥ पुदीने वाली चटनी लेके जाना॥ ऊ चटनी मोरी ससुर जी देना॥ चाखत चटनिया लुटे खजाना॥ पुदीने वाली चटनी लेके जाना॥ ऊ चटनी मोरे जयेष्ट जी देना॥ चाखत चटनिया खोले पायजामा॥ पुदीने वाली चटनी लेके जाना॥ ऊ चटनी मोरे सिया जी को देना॥ चाखत चटनिया कराय हंगामा॥ पुदीने वाली चटनी लेके जाना॥

लो क सं घ र्ष !: ब्लॉग उत्सव 2010

सम्मानीय चिट्ठाकार बन्धुओं, सादर प्रणाम, आज दिनांक 28.05.2010 को परिकल्पना ब्लोगोत्सव-2010 के अंतर्गत उन्नीसवें दिन के कार्यक्रम का लिंक - तीन दिवसीय प्रथम अन्तराष्ट्रीय हिंदी ब्लॉग उत्सव लखनऊ में .... http://www.parikalpnaa.com/ 2010/05/blog-post_28.html यह प्रस्ताव केवल ब्लोगोत्सव - २०१० से जुड़े रचनाकारों एवं शुभचिंतकों हेतु है http://www.parikalpnaa.com/ 2010/05/blog-post_6266.html मेरा व्यापार , यह अख़बार : डा . सुभाष राय http://utsav.parikalpnaa.com/ 2010/05/blog-post_8411.html राजेन्द्र स्वर्णकार की कविताएँ http://utsav.parikalpnaa.com/ 2010/05/blog-post_3461.html समान्तर मीडिया की दृष्टि से कितनी सार्थक है हिन्दी ब्लोगिंग ....... http://www.parikalpnaa.com/ 2010/05/blog-post_9843.html मयंक सक्सेना की कविता http://utsav.parikalpnaa.com/ 2010/05/blog-post_1140.html कौन बनेगा वर्ष का श्रेष्ठ ब्लोगर ? http://www.parikalpnaa.com/ 2010/05/blo