सारांश यहाँ आगे पढ़ें के आगे यहाँ मुक्तक : आचार्य सन्जीव 'सलिल' जो दूर रहते हैं वही तो पास होते हैं. जो हँस रहे, सचमुच वही उदास होते हैं. सब कुछ मिला 'सलिल' जिन्हें अतृप्त हैं वहीं- जो प्यास को लें जीत वे मधुमास होते हैं. ********* पग चल रहे जो वे सफल प्रयास होते हैं न थके रुक-झुककर वही हुलास होते हैं. चीरते जो सघन तिमिर को सतत 'सलिल'- वे दीप ही आशाओं की उजास होते है. ********* जो डिगें न तिल भर वही विश्वास होते हैं. जो साथ न छोडें वही तो खास होते हैं. जो जानते सीमा, 'सलिल' कह रहा है सच देव! वे साधना-साफल्य का इतिहास होते हैं **********