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Showing posts from August 28, 2009

मुक्तक : आचर्य सन्जीव 'सलिल'

सारांश यहाँ आगे पढ़ें के आगे यहाँ मुक्तक : आचार्य सन्जीव 'सलिल' जो दूर रहते हैं वही तो पास होते हैं. जो हँस रहे, सचमुच वही उदास होते हैं. सब कुछ मिला 'सलिल' जिन्हें अतृप्त हैं वहीं- जो प्यास को लें जीत वे मधुमास होते हैं. ********* पग चल रहे जो वे सफल प्रयास होते हैं न थके रुक-झुककर वही हुलास होते हैं. चीरते जो सघन तिमिर को सतत 'सलिल'- वे दीप ही आशाओं की उजास होते है. ********* जो डिगें न तिल भर वही विश्वास होते हैं. जो साथ न छोडें वही तो खास होते हैं. जो जानते सीमा, 'सलिल' कह रहा है सच देव! वे साधना-साफल्य का इतिहास होते हैं **********

अपने पेन ड्राइव उपयोग रैम की तरह करे

हम सभी सुविधाजनक उपयोगिता के लिए पेन ड्राइव उपयोग करते है अगर आप अपने पेन ड्राइव का उपायों कंप्यूटर की गति बढ़ने के लिए करना कहते है तो बस निचे लिखे निर्देशों का पालन करिए और बन जायेगा आपका पेन ड्राइव रैम .यह आपके PC की गति और प्रदर्शन क्षमता बढ़ाने के लिए एक अतिरिक्त परत के रूप में फ़्लैश मेमोरी और मुक्त रैम का प्रयोग करेगा जिससे आपके PC के लिए कैश मेमोरी में बढ़त होगी आपके पास अधिकतम चार सस्ती पेन ड्राइव हो तो अपने कम्प्यूटर की गति को आश्चर्य जनक रूप से तीव्र बना सकते है और आपको मँहगी RAM नहीं ख़रीदनी पड़ेगी। Vista ReadyBoost है और SuperFetch लाभ अब आपके Windows XP PC पर; अधिक तेज़ कम्प्यूटर और अधिक प्रयोग किए जा रहे साफ्टवेयर के लिए फाइलों की कैशिंग; दोनों USB और Non-USB (हटाये जा सकने वाले मीडिया उपकरणों (CF, एसडी / SDHC, MMC,और अन्य मेमोरी कार्ड का) के साथ उपयोग में लाया जा सकता है, साथ ही साथ अतिरिक्त हार्ड डिस्क(xD) के साथ भी काम करता है; अधिकम 4 USBs के साथ स्मार्ट कैशिंग की अनुमति देता है; HD के फाइल सिस्ट्म का कैशिंग आकार 4GB तक हो सकता है; NTFS आकार पर क

अर्थी सजा के रख लो॥

अर्थी सजा के रख लो॥ उठाना ही पडेगा॥ आया है बुलावा तो॥ जाना ही पडेगा॥ आया समय है अन्तिम॥ गम की बदारिया चाई॥ ब्याकुल सभी खड़े है॥ कलियाँ पड़ी मुरझाई॥ मन में जोश थोडा तो॥ लाना ही पडेगा॥ अर्थी सजा के रख लो॥ उठाना ही पडेगा॥ किए जो कर्म हमने॥ वह फल मिल गया॥ बोया जो बीज हमने॥ उसमे फूल खिल गया॥ रोते हुए सभी को ॥ हसाना ही पडेगा॥ अर्थी सजा के रख लो॥ उठाना ही पडेगा॥ शिकवा शिकायत दूर करके॥ आपस मेल रखना॥ सच की dagar सही है॥ sachai पर तुम chalnaa॥ रिश्ते kaa जो सम्बन्ध है,, उसे nibhaanaa पडेगा॥ अर्थी सजा के रख लो॥ उठाना ही पडेगा॥

महगाई से हाल बुरा ब ॥

महगाई से हाल बुरा ब ॥ रोवय पेटू बोटी का॥ चार दिना से नही ब खाए॥ सब्जी मिलय न छोटी का॥ बाप बेहाल विधाता कोशय॥ कैसे कर्मठ गांठी राम॥ लरिकन का कैसे समझायी॥ चौपट धंधा छूटा काम॥ नन्कौवा बनियानी का फाड़े॥ रूपया मांगे लंगोटी का... यही झंझट म देही बोली गय ॥ पौरुष तन से भागत ब॥ कैसे चले अब घर कय खर्चा॥ रात बहेतू जागत बा॥ कहा से रूपया मांग के लायी ॥ आता नही बा रोटी का॥ चारव जूनी चाचर होत॥ ऊब गवा बा जान॥ तल्लुक्दारय उलटा बोलाय ॥ होत रोज अपमान॥ bओले महरिया छत के ऊपर॥ हठ कर बैठी धोती का॥ महगाई से हाल बुरा ब ॥रोवय पेटू बोटी का॥

लो क सं घ र्ष !: कलिकाल तमस का प्रहरी...

मानवता , करुणा , आशा , विश्वाश , भक्ति , अभिलाषा । अनुरक्ति , दया , सज्जनता , चेरी है शान्ति , पिपासा ॥ कलिकाल तमस का प्रहरी , नित गहराता जाता है । मानव सदगुण को प्रतिपल , कुछ क्षीण बना जाता है ॥ आहुति का भाग्य अनल है , है पूर्ण स्वयं जलने में । परहित उत्सर्ग अकिंचन , अप्रति हटी गति जलने में डॉक्टर यशवीर सिंह चंदेल ' राही '