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Showing posts from September 25, 2010

फूल

कितनी  प्यारी  कितनी  मोहक                       छूने भर से खो दे रोनक  खुशबु से जग को महकाए                        भवरों का भी मन ललचाये  इंसा के  मन को ये भाये                       दुल्हन को भी खूब सजाये  भगवान के चरणों मै शीश नवाए                       हर मोसम मै फिर खिल जाये  अपने रंगों से जग को महकाए                       सारे जग मै  प्यार फैलाये हर घर - घर की है ये शान                      सब करते हैं इसका मान  कितनी प्यारी कितनी मोहक                      छूने भर से खो दे रोनक !  

माँ

                                             ये मेरे मालिक तेरा हमपे ये करम हो गया ! तुने अपनी जगह माँ का जो हमको साथ दिया !  तू भी जनता था की अकेले तो हम न रह पाएँगे  इसलिए चुपके से माँ बनके हाथ हमारा  थाम लिया ! जिंदगी के हर पल में उसने हमारा साथ दिया ! इसलिए जब दर्द  उठा तो माँ का ही जुबाँ ने नाम लिया ! माँ ने तेरा ये  काम बहुत खूबसूरती से कर  दिया ! तेरी ही तरह हम सबको अपना गुलाम कर दिया ! दोनों के एहसानों को तो अलग ना हम कर पाएंगे ! इसलिए उससे लिपट कर तेरे और करीब हम आ जायेंगे !