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Showing posts from June 30, 2009

हालात

ज़ख्म तुम अपने किसी को भी दिखाया न करो आंसुओं आंख की ...................................... घर के हालात ......................................... साथ खुशबू के अहाते में फिरा करते है फूल के पेड़ को आंगन में लगाया न करो बांस की तपती हुई आग में जलने दो मुझे आस के बादलों सर पर मेरे ये साया न करो आंसुओ आंख की ........................ घर के हालात ..................................... आज के दौर का पैगाम येही है लोगों कोई गिर जाए भूले से तो उठाया न करो आंसुओ आँख ........................... घर के हालात .............................