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Showing posts from March 21, 2011

आइये मिल-बैंठें एक साथ

आइये मिल-बैंठें एक साथ हाँ यही तमन्ना लेकर आरम्भ हुआ है ये ब्लॉग.आप जुड़ें और बताएं  कि आज आपने कौनसा ब्लॉग देखा और उसमे क्या है कुछ खास बात.नीचे दिए गए लिंक पर जाकर अपना  ई.मेल.आई डी. देकर हमसे जुड़ें.. http://yeblogachchhalaga.blogspot.com/  

आप रुकते, तो जरा और बहस होती आलोक जी…

♦ अविनाश क ल जब मित्र अभिषेक श्रीवास्‍तव का एसएमएस आया कि आलोक तोमर नहीं रहे, मैं उदास हो गया। होली का रंग अचानक उतर गया। मैंने अभिषेक को कोई जवाब नहीं दिया। आमतौर पर इस औपचारिक उत्तर से अपने कर्तव्‍य को पूरा कर सकता था कि दुख हुआ। लेकिन जो दुख था, उसके लिए शब्‍द नहीं थे। वह अंदर की रुलाइयों में उतर रहे थे और बाहर पड़ोस के वे लोग मौजूद थे, जो आलोक तोमर को नहीं जानते थे। मिलने के तमाम  संयोगों के बावजूद आलोक तोमर से मैं नहीं मिला था। हमारी फोन पर कभी कभी बात होती थी। हम हमेशा एक दूसरे से नाराज रहे, लेकिन बात करते रहे। मोहल्‍ला लाइव के लिए जब भी उन्‍होंने कुछ भेजा, उनके परिचय से छेड़छाड़ करते हुए मैं लिखता था, लेखक अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्रित्‍व काल में उनका भाषण लिखते थे। एक बार उन्‍होंने फोन किया और कहा कि यह सच तो है, लेकिन अब उस सूचना को परिचय में न ही दें तो बेहतर। मैं शर्मिंदा हुआ और मैंने तुरंत उस पंक्ति को हटाया। हिंदी की  कुछ साइट्स उनकी प्रिय वेबसाइट्स थी और मेरी अप्रिय। प्रभाष जोशी के वे घनघोर समर्थक थे। मोहल्‍ला लाइव पर जब प्रभाष जोशी के मूर्तिभंजन का अभियान चला, तो