Skip to main content

Posts

Showing posts from July 8, 2014

chhand salila: durmila chhand -sanjiv

ॐ छंद सलिला: दुर्मिला छंद      संजीव * छंद-लक्षण : जाति लाक्षणिक, प्रति चरण मात्रा ३२ मात्रा, यति १०-८-१४, पदांत  गुरु गुरु, चौकल में लघु गुरु लघु (पयोधर या जगण) वर्जित। लक्षण छंद :  दिशा योग विद्या / पर यति हो, पद / आखिर हरदम दो गुरु हों छंद दुर्मिला रच / कवि खुश हो, पर / जगण चौकलों में हों  (संकेत: दिशा = १०, योग = ८, विद्या = १४)   उदाहरण :  १ . बहुत रहे हम, अब / न रहेंगे दू/र मिलाओ हाथ मिलो भी      बगिया में हो धू/ल - शूल कुछ फू/ल सरीखे साथ खिलो भी      कितनी भी आफत / आये पर भू/ल नहीं डट रहो हिलो भी      जिसको जो कहना / है कह ले, मुँह / मत खोलो अधर सिलो भी             २. समय कह रहा है / चेतो अनुशा/सित होकर देश बचाओ               सुविधा-छूट-लूट / का पथ तज कद/म कड़े कुछ आज उठाओ       घपलों-घोटालों / ने किया कबा/ड़ा जन-विश्वास डिगाया        कमजोरी जीतो / न पड़ोसी आँ/ख दिखाये- धाक जमाओ      ३. आसमान पर भा/व आम जनता/  का जीवन कठिन हो रहा      त्राहिमाम सब ओ/र सँभल शासन, / जनता का धैर्य खो रहा           पूंजीपतियों! धन / लिप्सा तज भा/व् घटा जन को राहत दो             पेट भर स