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Showing posts from April 12, 2011

हड़ताल का अचूक हथियार

जिन्होंने मेरी फिल्म सारांश देखी होगी, उन्हें अनुपम खेर अभिनीत वह दृश्य जरूर याद होगा, जिसमें वह विदेश में मारे गए अपने इकलौते बेटे का अस्थि कलश लेने कस्टम के दफ्तर आता है और उससे घूस मांगी जाती है। 1983-84 का वह समय एशियाड का समय था, जब घर में टीवी होना बड़ी बात थी। हर व्यक्ति को मनोरंजन के उस जादू के बक्से की तलाश थी। कस्टम के दफ्तरों में टीवी के आयात को लेकर काफी गोरखधंधे होते थे। महाराष्ट्र के एक स्कूल का अवकाश प्राप्त गांधीवादी शिक्षक अनुपम खेर निराशा के दलदल में डूबकर कस्टम अधिकारी पर चिल्लाता है, ‘मैं यहां टीवी लेने नहीं, अपने मरे हुए बेटे की चिता की राख लेने आया हूं। क्या मैं बेटे की अस्थियों के लिए भी घूस दूं?’ कस्टम अधिकारी कहता है कि उससे गलती हो गई। वह शिक्षक को बताता है कि वह उनका शिष्य रह चुका है। उसके बाद अनुपम का संवाद है कि ‘भूल तो हमसे ही हो गई। मैं ही तुम्हें सही शिक्षा नहीं दे पाया।’ सारांश का वह दृश्य मेरे सबसे प्रिय दृश्यों में से एक है, जिसने मुल्क को उसका बदसूरत चेहरा दिखाया था। कुछ लोगों ने गांधीवादी अन्ना हजारे के आंदोलन को शत्रुता की धारणा से जोड़ दिया, जो

राजस्थान में ही नौकरी से महरूम हुए राजस्थानी

राजस्थान में ही नौकरी से महरूम ही राजस्थान में ही नौकरी से महरूम हुए राजस्थानी अन्य प्रांतों की भाषाओं को मिली प्राथमिकता राजस्थान प्रांत में अध्यापक पात्रता परीक्षा के लिए जो माध्यम भाषाएं निर्धारित की गई हैं उनमें हिन्दी, अंग्रेजी, संस्कृत, गुजराती, पंजाबी, सिंधी तथा उर्दू शामिल हैं , मगर यहाँ की प्रमुख भाषा राजस्थानी को कोई स्थान नहीं। जयपुर. निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा कानून के तहत उच्च प्राथमिक स्तर पर बालक को उसकी मातृभाषा के माध्यम से शिक्षण करवाने का प्रावधान है और यही वजह है कि विभिन्न प्रांतों में आयोजित हो रही अध्यापक पात्रता परीक्षाओं में उन भाषाओं को शामिल किया गया है, जो उस प्रांत के लोगों की मातृभाषाएं हैं। यह सर्वविदित है कि राजस्थान की प्रमुख भाषा राजस्थानी है और उक्त कानून की पालना की जाए तो यहां राजस्थानी को शिक्षा का माध्यम बनाया जाना चाहिए, मगर विडम्बना देखिए कि राजस्थान प्रांत में अध्यापक पात्रता परीक्षा के लिए जो माध्यम भाषाएं निर्धारित की गई हैं उनमें हिन्दी, अंग्रेजी, संस्कृत, गुजराती, पंजाबी, सिंधी तथा उर्दू शामिल हैं। मतलब राजस्थान में उ

नाथनगर के अनाथ – 2

डॉ. जेन्नी शबनम हमारी समूह सम्पादक डॉ जेन्नी शबनम आजकल अनाथालयों के दौरे कर रही है ,बकौल डॉ शबनम अनाथालय शब्द ही अमानवीय है ,इस दौरे के दौरान उन्होंने अनाथ बच्चों के मनोविज्ञान और उनकी मनोदशा जानने की कोशिश की है ,आज प्रस्तुत है “नाथनगर के अनाथ ” का  दूसरा भाग… श्री अशोक मेहरा जो इस अनाथालय के सचिव हैं से बातें हो रही थी तभी एक छोटा लड़का पापा पापा करते हुए आया और उनकी गोद में बैठ गया, मैं पूछी ”ये आपका बेटा है”? अशोक जी जो पितातुल्य हैं बड़े गर्व से कहते हैं ”मैडम, मैं यहाँ इन सबका पिता हूँ, सभी बच्चे मुझे पापा हीं कहते हैं”| उन्होंने बताया कि यहाँ जो सेविका है उसे बच्चे ”माँ” कहते हैं और ये परंपरा शुरू से हीं है| हम सभी के चेहरे पे संतोष की लहर सी दौड़ गई| मन ख़ुश हुआ कि यहाँ कोई बच्चा अनाथ नहीं है| सभी बच्चों का नामकरण ये ख़ुद हीं करते हैं और सभी के नाम के साथ ”भारती” लिखा जाता है क्योंकि ये सभी भारत की संतान हैं| उन्होंने बताया कि यहाँ जो भी बच्चे आते हैं किसी की जाति या धर्म का पता नहीं होता| जब जो मिल गया उसे हम लोग रख लेते हैं, थाना में इतिल्ला कर आवश्यक कारवाई पूरी कर दी जाती

नरेंद्र मोदी ने किया अन्ना हजारे को आगाह, मेरी प्रशंसा के बाद निंदा के लिए रहें तैयार

गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने समाजसेवी अन्ना हजारे को एक पत्र लिखकर उनकी  (नरेंद्र मोदी) तारीफ करने पर धन्यवाद दिया है, लेकिन साथ ही आगाह किया है कि अब गुजरात का अहित करने वाला समूह आपको निशाना बना सकता है। इधर अन्ना ने अपने पूर्व के बयान पर कहा है कि उनका किसी पार्टी से कोई लेना देना नहीं है। वे विकास की तारीफ करते हैं लेकिन सांप्रदायिकता के खिलाफ हैं। मोदी ने अपने पत्र में हजारे को लिखा है गुजरात का लगातार विरोध करने वाले कुछ लोग इस अवसर को अपने हाथ से नहीं जाने देंगे। उन्होंने लिखा है,  कल मैंने मुझे और मेरे राज्य को दिए आपके आशीर्वाद के बारे में सुना। मुझे डर है कि अब आपके खिलाफ निंदा अभियान शुरू हो जाएगा। गुजरात के नाम से ही चिढ़ जाने वाला एक खास समूह आपके प्यार, बलिदान, तपस्या और सच के प्रति समर्पण पर कालिख पोतने का मौका नहीं छोड़ेगा। वे आपकी छवि खराब करने की पूरी कोशिश करेंगे, सिर्फ इसलिए कि आपने मेरे और मेरे राज्य के बारे में कुछ अच्छा कहा। मोदी ने खत में अमिताभ बच्चन से लेकर गुलाम वास्तनवी तक कई उदाहरण देते हुए कहा है कि आपको पता होगा जो भी गुजरात के बारे में कुछ अ