इंडियन ओशन पर डाकुमेंट्री फिल्म की निर्माण कथा जयदीप वर्मा हिंदुस्तान के कितने बैंड हैं, जो ‘भोर’ का सही मतलब भी जानते होंगे? कितने हैं जो पीयूष मिश्रा के गुस्से से भरे (अरे रुक जा रे बंदे) शब्दों को ‘एंथम ऑफ आवर टाइम्स’ बना सकते हैं? क्या किसी को पता भी होगा ‘रेवा’ कहां बहती है? और मज़े की बात – इंडियन ओशन सिर्फ़ इन्हीं वजहों से महान नहीं है। उनका संगीत बहुतों के लिए रॉक होते हुए भी सबसे असली ‘हिंदुस्तानी संगीत’ है। गिटार के साथ (बंगाल की) गाबगुबी, ड्रम-सेट के साथ क्लासिकल आलाप, और एलेक्ट्रिक गिटार पर कबीर, सिर्फ़ फ़्यूज़न नहीं है। ये उन्हीं सीमाओं को ध्वस्त करना है, जो कबीर और रेवा ने कभी नहीं मानीं। जो संगीत ने कभी नहीं मानीं। सुस्मित सेन, राहुल राम, अशीम चक्रवर्ती और अमित किलम से मिलकर बना ये बैंड अब अपने जीवन और संगीत पर बनी एक डाक्युमेंट्री फिल्म ‘लीविंग होम’ के ज़रिये सिर्फ एक हफ्ते के लिए ‘बिग सिनेमाज़’ के थिएटरों में आ रहा है (2 अप्रैल 2010 को)। फिल्म के निर्देशक जयदीप वर्मा का ये लेख (3 भागों में, यहां पहला भाग है) इस लंबे, अक्सर थका देने वाले सफर को शब्दों में फिर से