भोजपुरी दोहे: संजीव 'सलिल' * नेह-छोह रखाब सदा, आपन मन के जोश. सत्ता दान बल पाइ त, 'सलिल; न छाँड़ब होश.. * कइसे बिसरब नियति के, मन में लगल कचोट. खरे-खरे पीछे रहल, आगे आइल खोट.. * जीए के सहरा गइल, आरच्छन के हाथ. अनदेखी काबलियत कs, लख- हरि पीटल माथ.. * आस बन गइल सांस के, हाथ न पड़ल नकेल. खाली बतिय जरत बा, बाकी बचल न तेल.. * दामन दोस्तन से बचा, दुसमन से मत भाग. नहीं पराया आपना, ला लगावत आग.. * प्रेम बाग़ लहलहा के, क्षेम सबहिं के माँग. सूरज सबहिं बर धूप दे, मुर्गा सब के बाँग.. * शीशा के जेकर मकां, ऊहै पाथर फेंक. अपने घर खुद बार के, हाथ काय बर सेंक?. *