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Showing posts from January 8, 2011
क्या सारा देश हिजडा हो गया हे ................? दोस्तों मेने आभी अभी ब्लोगर कवि योगेन्द्र मोदगिल जी की एक रचना जिसका शीर्षक क्या सारा देश हिजड़ा हो गया हे पढ़ी इस रचना में उन्होंने अख़बार और इलेक्ट्रोनिक मीडिया के सेक्स विज्ञापनों की भरमार की तरफ ऊँगली उठायी हे मेने इसका जवाब कवि महोदय को दिया के हाँ सारा देश हिजडा ही हो गया हे भाई आप मेरी बात से सहमत हों या न हों लेकिन मेरी बात पूरी तो पढेंगे । आज आप घर बाहर टी वी अख़बार जहां भी देखें सडकों पर दीवारों पर विज्ञापन देखें तो खुलेआम सेक्स की दवाओं के बेशर्म विज्ञापन हें । अख़बार टी वी जो देश को सुधारने और देश को नेतिक चारित्रिक शिक्षा देने की बात करते हें वोह इतनी बेशर्मी फेलायेंगे सपनों में भी किसी ने नहीं सोचा था लेकिन इससे भी बढ़ी हिजड़ी हमारी जनता और हमारी सरकार हे हमारा सिस्टम तो बिलकुल ही हिजड़ा गया हे । देश में ऐसे सेक्स के मामलों के विज्ञापन प्रकाशन नहीं करने की मनाही हे और ओषधि उपचारक नियन्त्रण विज्ञापन प्रतिषेध अधिनियम बनाया गया हे जिसमें लोगों के साथ ऐसी दवाओं के नाम पर जज्बात भड़का कर ठगी ना हो इसके लियें ऐसी

हर रहस्य का राज प्रकृति में समाहित है ...इसे जानने के लिए प्रकृति की गोद में जाना होगा.

किसी ने मुझसे कहा था की ईश्वर ने आँखें दी है तो उसे खुला रखो .हर जगह तुम्हे कुछ न कुछ सीखने को मिल जायेगा .सच कहा था,उस सज्जन ने ! हर वक्त और हर जगह हम कुछ न कुछ सीखते रहते है .आँखें खुली रखने पर इंसान सक्रीय  रहता है और जीवंत भी .सबसे अच्छी बात है... प्रकृति के निकट जाकर सीखना .हाँ इसके लिए वक्त देना होगा .सारे सवालों और उलझनों को प्रकृति की गोद में बैठकर सुलझा सकते है ,पर इसके लिए प्रकृति से प्यार करना होगा एवं उसे समझना होगा . हर रहस्य का राज प्रकृति में समाहित है ...इसे जानने के लिए प्रकृति की  गोद में जाना होगा. आज हम  प्रकृति के साथ खिलवाड़ कर अपनी जीत का जश्न मना रहे है ,यह बहुत दुखद है .....लोग अपनी सुख सुविधाओं के चक्कर में प्रकृति को बर्बाद कर रहे है ...पर हम यह नहीं जानते , हम अपने ही और अपने बच्चों के फ्यूचर को बर्बाद कर रहे है .

संघर्ष की लड़ाई

                                        एक बीज बड़ते हुए कभी आवाज़ नहीं करता ,    मगर एक पेड़ जब गिरता है तो .............                जबरदस्त शोर  और प्रचार के साथ ..........!  इसलिए विनाश मै शोर है परन्तु ,                 सृजन हमेशा मोन रहकर समृद्धि पाता है !                                                                                   आज लड़कियां तितली बन कर  खुले  आसमान मै उड़ रही है , बुलंदियों को छु रहीं हैं ! लड़कियों का संसार कुच्छ वर्ग मै अब पहले जेसा नहीं रहा ! भारत के गाँव , शहरों  और महानगरों सब जगह वो अपने होने का सबूत  दे रहीं हैं ! अब उनकी आँखों मै नई तरह के सपने  हैं , नई तरह की चुनोतियाँ हैं ! वो अपने होने को रच रहीं हैं ! लड़कियां बदल रही हैं तो समाज भी खुद को बदल रहा है पर दोनों के बदलाव मै जमीं आसमान का अंतर है ! क्युकी हर इन्सान की सोच फिर चाहे वो लड़का हो या लड़की अलग - अलग है और उसी सोच के आधार पर उसकी तुलना भी हो रही है ! अगर आज नारियों ने इन बुलंदियों को हासिल  किया है तो उनका श्रेय उसकी मेहनत , लगन , द्रिड निश्चय और इन्सान को जाता है ! इन्सान द