Source: हर्ष मंदर | उस घटना को बीस वर्ष हो गए, जब आयशा बेगम का पति देसी शराब के नशे में चूर बेहोशी की हालत में एक खुले कुएं में गिर गया और डूब गया। मुझे मालूम नहीं कि आखिरी क्षणों में उसके जेहन में अपनी युवा पत्नी का ख्याल कौंधा था या नहीं, जो उस वक्त महज 25 साल की थी, जिसे वह पांच छोटे-छोटे बच्चों की जिम्मेदारी के साथ पीछे छोड़ गया था। यह भी अनुमान लगाना उतना ही मुश्किल है कि क्या उसका इस तरह चले जाना आयशा के लिए पिटाई और अपमान से भरे तमाम नाउम्मीद सालों से छुटकारा था या एक नए अध्याय की शुरुआत थी, जो पहले से भी ज्यादा गहरी पीड़ाओं, श्रम और नाउम्मीदी का सबब थे। शायद दोनों ही बातें सच थीं। आयशा तब महज नौ साल की थी, जब उसके पिता ने एक पंद्रह साल के रिक्शा चलाने वाले आदमी से उसकी शादी कर दी। शादी के बाद पहले दिन से उसका जेठ उसे जमींदार के खेतों में काम करने के लिए भेजने लगा। दिन भर काम करने के लिए उसे सिर्फ एक रोटी दी जाती। खेतों में जाने से पहले उसे घर का सारा काम निपटाना होता था, इसलिए वह सूरज उगने के बहुत पहले उठ जाती। वह अब भी छोटी बच्ची ही थी और उसे इतने कठिन श्रम की आदत नहीं