छमाही परीक्षा के बाद भी प्रदेश के 20 से ज्यादा जिलों में कई स्कूली बच्चों को किताबें नहीं मिल पाई हैं। इसमें इंदौर सहित संभाग के खरगोन और झाबुआ जिले भी शामिल हैं। 15 अगस्त तक सभी बच्चों को किताबें मिल जाना चाहिए थी लेकिन बीत रहे दिसंबर महीने में भी सैकड़ों बच्चे किताबों से वंचित हैं। नतीजा अर्धवार्षिक के बाद उन्हें बगैर किताबों से वार्षिक परीक्षाओं की तैयारी करना पड़ेगी। पैदा हुए हालात पर आयुक्त राज्य शिक्षा केंद्र ने लापरवाह जिला परियोजना समन्वयकों को फटकार लगाते हुए उन्हें नोटिस जारी कर पूछा है कि क्यों न आपके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए। इंदौर सहित प्रदेश के कई जिलों में सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के भविष्य को लेकर शिक्षाधिकारी बेपरवाह हैं। बच्चों के हाथों में किताबें न पहुंच पाने के सवाल पर ज्यादातर अफसर पहली से आठवीं तक की परीक्षाएं लोकल कर दिए जाने का तर्क देकर मामले को हलके तौर पर ले रहे हैं। नियम के मुताबिक हर बच्चे को सरकार की ओर से मिलने वाली नि:शुल्क पाठ्यपुस्तकों का वितरण 15 अगस्त तक हो जाना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं हुआ। जिला परियोजना समन्वयक सर्वशिक्षा अभि