यादो के सफ़ेद परिंदे .... नीले आकश से है उतरे सफ़ेद परिंदों कि चादर चारो है फैली ... कितनी निर्मल ,कितनी पवित्र , और मन को शांति प्रदान करने वाली , मेरी इन यादो में है बच्चपन बसा , यौवन का है प्रेम प्रसंग छिपा , अपनी स्मृति में दबे ढके , अनेक प्रसंग ले कर यादे आगे बड़ी , नदी ,तालाबो के वोह यादे आ कर रुकी ..खेत खलियानों में ...... मेरी भलाई -बुराई ,उठा पटक .जोड़े -तोड़ , जगहसाई ,रुस्वइयो और कमजोरियों , का कच्चा चिठा है ये यादे , साबुन के बुलबुले समान मेरी ये यादे जैसे डोर संग बंधी पतंग ... वैसे मकड़ जाल सी मेरी मानस पे छाई ये यादे ... कोमल..निर्मल ...स्वछ........सिर्फ और सिर्फ मेरी यादे ............... (.......कृति.....अनु......)