Skip to main content

Posts

Showing posts from September 6, 2010

चाहिए निष्ठावान वोटर…[लोकतंत्र-3]

चु नाव की ऋतु में विभिन्न प्रकार के वचन सुनने को मिलते हैं। इन वचनों में याचना, संदेह, आरोप, भय, संताप, प्रायश्चित, प्रतिज्ञा, प्रार्थना आदि कई तरह के भाव होते हैं जिनका लक्ष्य आम आदमी होता है जो लगातार मौन रहता है। वह बोलता नहीं, अपना  मत देता है जिसे वोट कहते हैं।  वोट  ही उसका वचन है, उस वचन के जवाब में, जो उसने नेताओं के मुंह से सुने हैं।  वोट  एक प्रार्थना भी है, जिसे मतपत्र के जरिये वह मतपेटी में काल के हवाले करता है, इस आशा में की उसकी वांछा पूरी होगी। प्र जातंत्र में  वोट  vote का बड़ा महत्व है। कोई भी निर्वाचित सरकार वोट अर्थात मत के जरिये चुनी जाती है। यह शब्द अंग्रेजी का है जो बीते कई दशकों से इतनी बार इस देश की जनता ने सुना है कि अब यह हिन्दी में रच-बस चुका है जिसका मतलब है मतपत्र के जरिये अपनी पसंद या इच्छा जताना। चुनाव के संदर्भ में मत और मतदान शब्दों का प्रयोग सिर्फ संचार माध्यमों में ही पढ़ने-सुनने को मिलता है वर्ना आम बोलचाल में लोग  मतदान  के लिए  वोटिंग  और मत के लिए  वोट  शब्द का प्रयोग सहजता से करते हैं। वोटर के लिए मतदाता शब्द हिन्दी में प्रचलित है।  वोट यूं लैटि

हिन्दुस्तान का दर्द फिर नए लक्ष्यों के साथ

हिन्दुस्तान का दर्द कुछ समय से समस्याओं से जूझ रहा था जिसकी वजह से काफी कुछ प्रभावित हुआ,हम हम आपके सामने फिर हाजिर है एक नए बदलाब के साथ आशा है आपको हमारा यह प्रयास पसंद आएगा... संजय सेन सागर  हिन्दुस्तान का दर्द फिर नए लक्ष्यों के साथ