कबीरा शब्द अपने आप में एक व्यापक अर्थ समेटे हुए है । मेरे ब्लॉग का नाम कबीरा खड़ा बाज़ार में रखने के पिछे एक बड़ा उद्देश्य है। "कबीर " मात्र एक संत का नाम नही , यह अपने आप में एक बड़ी अवधारणा है । आपका नाम जो भी हो, आप अपने आप में एक पुरी प्रक्रिया हैं। कनिष्क , यानि मैं , एक पुरी प्रक्रिया है , किसी को किसी जैसा बनने के लिए उस पुरी प्रक्रिया से गुजरना होगा। ... "कबीरा " शब्द मात्र से हीं जो छवि उभरती है वह किसी आन्दोलन को प्रतिबिंबित करती है । "कबीर" ने जीवन पर्यंत तात्कालिक सामाजिक बुराइयों पे बड़े सुलझे ढंग से प्रहार किया। कबीर स्वयं में एक क्रांति थे । जाती धर्म और वर्ग से ऊपर उठकर उन्होंने सामान रूप से सभी पर कटाक्ष किया। कबीर "संचार "या आप जनसंचार कहें , की आत्मा हैं। "जनसंचार का काम सूचना देना "बड़ी हीं तुक्ष मानसिकता को दर्शाता है । "सुचना देना "और "ज्ञान देना " दोनों में बड़ा हीं अन्तर है। परन्तु आज हमारा बौधिक स्तर इतना निक्रिष्ट हो गया है की ये फर्क समझ में नही आता। समझ में जिसे आता भी है तो वो इसके व्यापक