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Showing posts from December 15, 2010
बुद्धि जीवियों के चुनाव में निरक्षरता का नमूना कहते हें जो पढ़ लिख लेता हे वोह समझदार हो जाता हे और देश , समाज के लियें उपयोगी साबित होता हे पढ़ा लिखा व्यक्ति देश समाज के उत्थान के लियें बहतरीन निर्णय करने में सक्षम होता हे और अगर लोकतंत्र प्रणाली से उसे निर्वाचन का मोका दिया जाए तो उसमें वोह बेहतरीन लोगों का निर्वाचन कर गुणवत्ता को जिताता हे लेकिन भाईयों यह सब बातें एक सपना और एक किताबी बातें हें , देश और प्रदेश के चुनावों में भीड़ तन्त्र किस तरह के लोगों को निर्वाचित करती हे सब जानते हें कोई बाहुबली होता हे तो कोई महा भ्रष्ट लेकिन जनता उसका निर्वाचन करती हे और वही महा भ्रष्ट और बाहुबली सरकार में बेठ कर नितियें तय करता हे ऐसा ही कुछ कोटा अभिभाषक परिषद के चुनावों में देकने को मिला हे में खुद भी उम्मीदवार था इसलियें नतीजे नजदीक से देखने को मिले हें । दोस्तों कोटा आभिभाश्क परिषद जिसमे १३०० वकील सदस्य हें और सभी को वोट डालने का अधिकार मिला यहाँ पिछले दो सालों से हाईकोर्ट बेंच की कोटा में स्थापना और दूसरी मांगों को लेकर हडताल , धरने प्रदर्शन चल रहे हें में हर आन्दोलन

सिर्फ खुद की मत सोचो;कुछ तो ओरों की सोचो

आज एक और युवक ने आत्म हत्या कर ली,पता चला और दुःख हुआ बहुत हुआ और कारण है कि जिसने आत्महत्या की मैं उसे जानती थी .यूं तो रोज़ दुनिया में कितने ही लोग आत्महत्या कर रहे हैं किन्तु जिसे हम जानते हैं उसका हमें ज्यादा दुःख होता है.प्रत्यक्ष रूप से देख रही हूँ कि आज की युवा शक्ति में धेर्य ख़त्म हो रहा है.सभी सोचने लग गए हैं कि हमें चुटकियों में दुनिया की हर दुर्लभ वास्तु हासिल हो जाये,हम एक दिन में दुनिया के अमीरों में शामिल हो जाएँ,हम चाहे कुछ भी करें हमें बड़े कुछ ना कहें आदि आदि इस तरह के बहुत से कारण हैं जो असमय ही हमारी युवा शक्ति को मौत की  और धकेल रहे हैं. लेकिन यदि हम गहरे में जाएँ तो ये सभी कारण तात्कालिक हैं  और यदि हमारी युवा शक्ति थोडा ये सोचे कि मेरा जीवन मात्र मेरा ही नहीं है इस पर मेरे माता पिता,भाई बहन,पत्नी बच्चों का भी हक बनता है और मैं यदि ऐसा कार्य करता हूँ तो उनके लिए जीवन जीना और कठिन कर देता हूँ तो शायद वह इस गलत कार्य से कदम पीछे हटा ले.हर व्यक्ति के जीवन में समस्याएँ आती हैं और उनसे निबटने में ही जीवन की सफलता कही जा सकती  है .मैं जानती हूँ की ये  बातें उन लोगों के

पेड़

इंसानों से बड़ा पेड़                       मगर ज़मी से जुड़ा पेड़ ! इंसानों की खातिर फिर                        कितने तुफानो से लड़ा पेड़ ! धरती  की भूमि पर .............                          चित्र सरीखे खड़ा पेड़ ! जाने किसके इंतजार मै ............                          सड़क किनारे खड़ा पेड़ ! पंडित और मोलवी की बाते सुन                             पल भर न डिगा पेड़.!.. धूप रोक फिर छाया देकर ........                           फ़र्ज़ निभा फिर झड़ा पेड़ ! सीने मै रख हवा बसंती                            आंधी मै फिर उड़ा पेड़ ! खेतो मै पानी लाने को                            बादल से जा भीड़ा  पेड़ ! फल खाए जिसने उसने ही काटा                              जान शर्म से गड़ा पेड़ ! इंसा की जरूरतों को पूरा करते  ...........                            कटा ज़मी पर पड़ा पेड़ !