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Showing posts from June 2, 2012

मेरी फिल्‍म का माफिया केवल गोली भरता हुआ नहीं दिखता

अनुराग कश्‍यप से अजय ब्रह्मात्‍मज की बातचीत संदर्भ : कान फिल्‍म फेस्टिवल और गैंग्‍स ऑफ वासेपुर फिल्‍मकार अनुराग कश्‍यप से वरिष्‍ठ फिल्‍म समीक्षक अजय ब्रह्मात्‍मज की यह बातचीत उनके कान फिल्‍म फेस्विल जाने के पहले हुई थी। जैसा कि अजय ब्रह्मात्‍मज सूचना देते हैं, उस दिन अनुराग कश्‍यप बहुत व्‍यस्‍त थे। बड़ी मुश्किल से देश-विदेश के पत्रकारों से बातचीत और इंटरव्‍यू के बीच-बीच में मिले समय में यह साक्षात्‍कार हो पाया। इसका पहला अंश पढ़िए… मॉडरेटर … कान में चार फिल्मों का चुना जाना बड़ी खबर है, लेकिन फिल्म इंडस्ट्री में जैसे कोई हलचल ही नहीं है? ह म क्या कर सकते हैं। कुछ लोगों के व्यक्तिगत संदेश आये हैं। कुछ नहीं कह सकते। हमारी इंडस्ट्री ऐसी ही है। मेनस्ट्रीम की कोई फिल्म चुनी गयी रहती, तो बड़ी खबर बनती। इंडस्ट्री कभी हमारी कामयाबी को सेलिब्रेट नहीं करती। हर छोटी बात पर ट्विट की बाढ़ सी आ जाती है। इस बार वहां भी सन्नाटा छाया है? उ न्हें लगता होगा कि हम योग्य फिल्ममेकर नहीं हैं। ये कौन से लोग हैं, जिनकी फिल्में जा रही हैं? इनसे अच्छी फिल्में तो हम बनाते हैं। इंडस्ट्री क