Skip to main content

Posts

Showing posts from August 12, 2011

लो क सं घ र्ष !: आल इण्डिया स्टूडेन्ट्स फेडरेशन का इतिहास: महेश राठी भाग 7

ए0आई0एस0एफ0 का अठारहवाँ सम्मेलन ए0आई0एस0एफ0 का अठारहवाँ सम्मेलन दिल्ली में 21-23 दिसम्बर 1969 को सम्पन्न हुआ। सम्मेलन में देशभर से 350 प्रतिनिधियों ने भाग लिया। सम्मेलन का उद्घाटन प्रो0 हीरेन मुखर्जी ने किया। सम्मेलन में शिक्षा एवं परीक्षा में सुधार, प्रबन्धन में छात्रों की भागीदारी, छात्र संघांे के गठन की अनिवार्यता, रोजगार या बेकारी भत्ता और 18 वर्ष की आयु में मताधिकार के सवालों पर एक माँग पत्र भी तैयार किया गया। 1969 में कई महत्वपूर्ण घटनाएँ घटी और आन्दोलन हुए। इसी दौर में भा0क0पा0, वामपंथ और इंदिरा कांग्रेस समर्थित उम्मीदवार वी0वी0 गिरी देश के राष्ट्रपति चुने गए। 14 बैंकांे का राष्ट्रीयकरण किया गया और राजाआंे का प्रीवी पर्स भी इसी समय खत्म कर दिया गया। जिसका ए0आई0एस0एफ0 ने भारी स्वागत किया। इसी समय देश की कई समस्याओं को लेकर भी राजनैतिक बहस का दौर शुरू हुआ। देश में व्याप्त विसंगतियांे, असमानताआंे और आर्थिक सामाजिक समस्याओं के समाधान के लिए एक सामाजिक-आर्थिक रूपान्तरण की आवश्यकता थी जिसके लिए छात्र-युवा संगठनों में भी वैचारिक प्रतिबद्धता को लेकर एक जबरदस्

लो क सं घ र्ष !: आल इण्डिया स्टूडेन्ट्स फेडरेशन का इतिहास: महेश राठी भाग 6

चीनी आक्रमण के प्रतिफल स्वरूप लोगांे के बीच में कम्युनिस्ट पार्टी और कम्युनिस्ट विचारधारा के प्रति एक गलत संदेश गया। चीन में कम्युनिस्ट पार्टी के नेतृत्व में एक समाजवादी व्यवस्था थी और चीन के इस आक्रमण ने समाजवादी विचारधारा पर ही सवालिया निशान लगा दिया। चीनी कम्युनिस्ट नेतृत्व के इस निर्णय ने भारत की कम्युनिस्ट , प्रगतिशील एवं जनवादी ताकतांे के बीच एक स्पष्ट विभाजन की रेखा खींच दी थी। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के भीतर भी ऐसी शक्तियों ने विभाजक गतिविधयाँ तेज कर दीं। जिसके परि णाम स्वरूप 1964 में पार्टी में विभाजन हो गया और एक नई पार्टी भा 0 क 0 पा 0 एम 0 का उदय हुआ। इस विभाजन ने ए 0 आई 0 एस 0 एफ 0 को भी एक गंभीर संकट में धकेल दिया। वास्तव में यह चीनी संकट देश के कम्युनिस्ट आन्दोलन के लिए दोहरा संकट लेकर आया। एक कम्युनिस्ट आन्दोलन में विभाजन और दूसरे आर 0 एस 0 एस 0 जैसे देश की दक्षिणपंथी और फासीवादी ताकतों को कम्युनिस्ट , प्रगतिशील और जनवादी