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Showing posts from April 22, 2010

लो क सं घ र्ष !: प्रधानमंत्री की दोस्ती

अभी ताज़ा बयान है हमारे प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह कि उनकी दोस्ती ईरान के साथ है और ये दोस्ती अक्षुण रखने के लिए वह हर हाल में ईरान के साथ हैं। ऐसा ही दावा भारत के भूतपूर्व प्रधानमंत्री स्व0 चन्द्रशेखर ने भी इराक के साथ किया था और इराक के साथ दोस्ती बनाये रखने का दम भरते रहते थे। आज से नहीं सदैव से भारत फिलिस्तीन के साथ रहा है और फिलिस्तीन की हर सम्भव सहायता करने का दम भरता रहा है। कुछ ऐसा ही चरित्र अमेरिका का फिलिस्तीन के साथ रहा है और वह बराबर कहता रहा है कि फिलिस्तीन को वह इजराइल के हाथों बर्बाद नहीं होने देगा; लेकिन नतीजा सबका सामने है। जिस वक्त इजराइल फिलिस्तीन बर्बरतापूर्ण हमले करता है, आम नागरिकों का संहार करता है, अस्पतालों और नागरिक क्षेत्रों पर हमले करके बेगुनाह और जिन्दगी से जूझ रहे बीमारों का संहार करता है, कुल मिलाकर खून की होली खेलता है। ऐसे वक्त पर अमेरिका बोल उठता है कि इजराइल गलत कर रहा है और वह उसे ऐसा नहीं करने देगा, लेकिन मामला ज्यों का त्यों बना रहता है। इजराइल की बर्बता बढ़ने पर अमेरिका भाषा बदली हुई है और वह फिलिस्तीन को इंसाफ दिलाने की ब

बीते हुए पल...

हमने भी गुजार दी है॥ दर्द भरी जवानी॥ हमको भी याद आती है॥ बीती हुयी कहानी॥ करती थी बात जब वह॥ कलियों से खुशबू झरती॥ आँखे बड़ी अजीब थी॥ मस्त हो मचलती॥ अब भी संभाल रखा हूँ॥ उसकी एक निशानी॥ हमने भी गुजार दी है॥ दर्द भरी जवानी॥ उसने सजाया चमन को॥ मैंने भी उसको सीचा॥ आपस ताल मेल था॥ शव्दों को दोनों मींजा॥ अब रोता हमारा दिल है॥ आगे नहीं बतानी ॥ हमने भी गुजार दी है॥ दर्द भरी जवानी॥ नजर लगी किसी की॥ य होनी को यही बदा था॥ नफरत कहा से आयी॥ मुझको नहीं पता था॥ उजड़ा मेरा बगीचा॥ दूजे पे हक़ जमा ली॥ हमने भी गुजार दी है॥ दर्द भरी जवानी॥

झंडा ऊँचा रहे हमारा!

तिरंगा - एक तीन रंग के कपड़े के टुकड़ों से बना और उस पर एक चक्र.                   राष्ट्रीय त्योहारों पर बड़ी शान से फहराया जाता है और राष्ट्रीय शोक पर झुकाया जाता है.  --ये क्या मायने रखता है?  --एक भारतीय के लिए,  -- हमारे सैनिकों के लिए ,  ये हमारे दिल से पूछो - वह भी अगर हम सच्चे भारतीय हैं तो?                इस आलेख में कुछ चित्रों को मैंने लगाया है और ये चित्र मुझे मेरे कुछ प्रिय बच्चों ने भेजे इस शीर्षक के साथ: Fwd: I wish this mail reaches right ppl .....!! मैंने इसे अपने कुछ और परिचितों को फॉरवर्ड किया क्योंकि ये सवाल और अपमान एक कपड़े के टुकड़े का नहीं है बल्कि इस तिरंगे की शान के लिए बर्फ की चोटियों पर हाड़  कंपकंपा देने वाली सर्दी में हमारे सैनिक सीमा की निगहबानी कर रहे हैं. उनके लिए ये तिरंगा एक जज्बा है, आत्म सम्मान है और जान की कीमत से अधिक इसकी कीमत है. अपने घरों से , घरवालों से दूर महीनों अपनी देश की रखवाली के लिए तैनात रहते हैं . इन चित्रों को शायद वे देख भी नहीं पायें.              कहाँ गए वे लोग जिन्होंने इस तिरंगे के लिए -                       झंडा ऊ

लो क सं घ र्ष !: ब्लॉग उत्सव 2010

सम्मानीय चिट्ठाकार बन्धुओं, सादर प्रणाम, जब तक 1000 पोस्ट न लिख ली जाए , किसी ब्लॉगर को सफलता असफलता के बारे में सोचना नहीं चाहिए . रवि रतलामी http://utsav.parikalpnaa.com/ 2010/04/1000.html अंतरजाल पर कविता की दुनिया कविता का बाजार : अरविन्द श्रीवास्तव http://utsav.parikalpnaa.com/ 2010/04/blog-post_21.html डॉ॰ कविता वाचक्नवी की दो कविताएं http://utsav.parikalpnaa.com/ 2010/04/blog-post_6873.html हिमांशु की तीन कविताएँ http://utsav.parikalpnaa.com/ 2010/04/blog-post_4878.html आकांक्षा यादव की दो कविताएँ http://utsav.parikalpnaa.com/ 2010/04/blog-post_4610.html शहरोज़ का आलेख : पानी में जहर http://utsav.parikalpnaa.com/ 2010/04/blog-post_2784.html बाल विज्ञान कथा - बड़बडिया http://utsav.parikalpnaa.com/ 2010/04/blog-post_4674.html हमें गर्व है हिंदी के इस प्रहरी http://shabd.parikalpnaa.com/ 2010/04/blog-post_21.html utsav.parikalpnaa