छंद सलिला: अनुगीत छंद संजीव * छंद लक्षण: जाति महाभागवत, प्रति पद २६ मात्रा, यति१६-१०, पदांत लघु लक्षण छंद: अनुगीत सोलह-दस कलाएँ , अंत लघु स्वीकार बिम्ब रस लय भाव गति-यतिमय , नित रचें साभार उदाहरण: १. आओ! मैं-तुम नीर-क्षीरवत , एक बनें मिलकर देश-राह से शूल हटाकर , फूल रखें चुनकर आतंकी दुश्मन भारत के , जा न सकें बचकर गढ़ पायें समरस समाज हम , रीति नयी रचकर २. धर्म-अधर्म जान लें पहलें , कर्तव्य करें तब वर्तमान को हँस स्वीकारें , ध्यान धरें कल कल किलकिल की धारा मोड़ें हम , धार बहे कलकल कलरव गूँजे दसों दिशा में , हरा रहे जंगल ३. यातायात देखकर चलिए , हो न कहीं टक्कर जान बचायें औरों की , खुद आप रहें बचकर दुर्घटना त्रासद होती है , सहें धीर धरकर पीर-दर्द-दुःख मुक्त रहें सब , जीवन हो सुखकर ********* (अब तक प्रस्तुत छंद: अखण्ड, अग्र, अचल, अचल धृति, अनुगीत, अरुण, अवतार, अहीर, आर्द्रा, आल्हा, इंद्रवज्रा, उड़