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Showing posts from June 11, 2014

chhand salila: anugeet chhand -sanjiv

छंद सलिला: अनुगीत छंद  संजीव * छंद लक्षण:  जाति महाभागवत, प्रति पद २६ मात्रा,                     यति१६-१०, पदांत लघु  लक्षण छंद:     अनुगीत सोलह-दस कलाएँ , अंत लघु स्वीकार     बिम्ब रस लय भाव गति-यतिमय , नित रचें साभार           उदाहरण: १. आओ! मैं-तुम नीर-क्षीरवत , एक बनें मिलकर    देश-राह से शूल हटाकर , फूल रखें चुनकर         आतंकी दुश्मन भारत के , जा न सकें बचकर          गढ़ पायें समरस समाज हम , रीति नयी रचकर     २. धर्म-अधर्म जान लें पहलें , कर्तव्य करें तब                 वर्तमान को हँस स्वीकारें , ध्यान धरें कल कल     किलकिल की धारा मोड़ें हम , धार बहे कलकल      कलरव गूँजे दसों दिशा में , हरा रहे जंगल     ३. यातायात देखकर चलिए , हो न कहीं टक्कर             जान बचायें औरों की , खुद आप रहें बचकर     दुर्घटना त्रासद होती है , सहें धीर धरकर       पीर-दर्द-दुःख मुक्त रहें सब , जीवन हो सुखकर                          *********   (अब तक प्रस्तुत छंद: अखण्ड, अग्र, अचल, अचल धृति, अनुगीत, अरुण, अवतार, अहीर, आर्द्रा, आल्हा, इंद्रवज्रा, उड़